वाहन किराये के नाम पर सरकारी खजाने की लूट एक अधिकारी कर रहा दो वाहनों का इस्तेमाल मुख्य कोषाधिकारी का कारनामा,नियमों की उड़ाई जा रही धज्जियां
सौरभ गंगवार
रूद्रपुर। सरकारी खजाने को अधिकारी कैसे लूट रहे हैं इसका एक ताजा उदाहरण जिला मुख्यालय रूद्रपुर में सामने आया है। वाहन किराये के नाम पर एक अधिकारी लाखों रूपये का बजट ठिकाने लगा रहा है। हैरानी की बात है कि नियमों के विपरीत यह अधिकारी एक नहीं बल्कि दो किराये के वाहन प्रयोग कर रहा हैं। जिनका हर माह का किराया लाखों रूपये हैं। सवाल ये है कि आखिर एक अधिकारी दो वाहन कैसे इस्तेमाल कर रहा है और क्यों कर रहा है। जिला मुख्यालय से लेकर शासन स्तर पर बैठे अधिकारी इसे लेकर मौन है।
कोषागार कार्यालय के मुख्य कोषाधिकारी पंकज कुमार शुक्ला के पास पंडित राम सुमेर शुक्ल मेडिकल कालेज के वित्त विभाग का भी चार्ज है। इनकी तैनाती 15 अक्टूबर 2021 को कोषागार कार्यालय में हुई थी। 12 अगस्त 2022को इन्हें मेडिकल कालेज में वित्त विभाग का भी चार्ज सौंप दिया गया। रूद्रपुर में तैनाती के बाद से ही इन्हें एक किराये पर एक सरकारी वाहन उपलब्ध कराया गया था, जिसका प्रतिमाह अच्छा खासा बिल भुगतान कराया जा रहा था। हद तो तब हो गयी जब मेडिकल कालेज का चार्ज मिलने के बाद ये अधिकारी यहां भी एक किराये के वाहन का इस्तेमाल करने लगे। यह सोचने में भी कुछ अजीब लग सकता है कि एक व्यक्ति दो वाहन में एक साथ कैसे सफर कर सकता है। लेकिन यह सब कागजों में चल रहा है। इस अधिकारी के नाम से हर माह दो वाहनों का किराया भुगतान किया जा रहा है।
पिछले लंबे समय से इस अधिकारी द्वारा एक वाहन कोषागार कार्यालय के नाम पर किराये पर लिया जा रहा है तो दूसरा मेडिकल कालेज के नाम पर। मेडिकल कालेज के नाम पर जो वाहन किराये पर लिया गया है उसका हर माह का किराया 57755 रूपये तय है इसमें पेट्रोल का खर्च भी जोड़ा जाये तो लगभग 75 से 80 हजार रूपये हर माह इस वाहन का खर्च आता है। दूसरा वाहन कोषागार कार्यालय के नाम पर किराये पर लिया जा रहा है जिसका हर माह का किराया 22500 तय है। इसमें पेट्रोल का खर्च जोड़ा जाये तो लगभग 30 हजार रूपये प्रतिमाह बिल बनता है। ये दोनों वाहन अलग अलग फर्मों से किराये पर लिये जा रहे हैं। दोनों वाहनों का किराया जोड़ा जाये तो हर माह लगभग 1 लाख से अधिक का खर्च इस अफसर के किराये पर खर्च किया जा रहा है। पिछले करीब दो साल का किराया जोड़ा जाये तो लगभग 25 लाख से अधिक इस अधिकारी के वाहन किराये पर खर्च किये जा चुके हैं इतनी बड़ी रकम से विभाग खुद का वाहन खरीदता तो भी सरकारी खजाने के लाखों रूपये बचाये जा सकते थे।
नियमों की बात करें तो सरकार के ये स्पष्ट आदेश हैं कि एक अधिकारी एक ही वाहन प्रयोग कर सकता है। सरकार ने किराये पर वाहन लेने के लिए जो दरें निर्धारित की है वो भी वर्तमान में बनाये जा रहे बिल से कहीं अधिक है। बड़ा सवाल ये है कि आखिर एक अधिकारी को दो वाहनों की जरूरत क्यों पड़ रही है। इस पर जिला मुख्यालय से लेकर शासन स्तर तक के अधिकारी मौन हैं।।