निजी कालोनियों में लुटाया जा रहा सरकारी खजाना सरकारी बजट से बनाई जा रही कालोनाइजरों की सड़कें
सौरभ गंगवार
रूद्रपुर। शहर के आस पास कई कालोनियों में बिल्डरों और सरकारी तंत्र का गठजोड़ सरकारी खजाने पर भारी पड़ रहा है। अवैध रूप से काटी गयी कालोनियों से सरकार को राजस्व का नुकसान तो पहुंचाया ही जा रहा है साथ ही कई कालोनियों में जो सड़कें कालोनाइजरों ने बनानी थी उन सड़कों को सरकारी बजट से बनाकर सरकारी खजाने को चपत लगाई जा रही है।
शहर से सटे इलाकों में पिछले कुछ समय से धड़ल्ले से अवैध कॉलोनियां काटी जा रही हैं। कॉलोनी का नक्शा पास कराए बिना ही मनमाने तरीके से प्लाट बेचे जा रहे हैं। कॉलोनाइजर बिना पंजीयन के ही यह काम कर रहे हैं। इससे जहां सरकारी खजाने को चपत लगाई जा रही है। वहीं, कॉलोनाइजरों के झांसे में फंसने के बाद लोगों को कॉलोनी में सुविधा नहीं मिलती जिससे वे परेशान होते हैं।भू-माफियाओं के जाल में फंस कर प्लॉट खरीदने वाले उपभोक्ता इनके झांसे में आ जाती हैं। शहर के आस पास अवैध कालोनियों का कारोबार काफी जोरों पर है। अवैध रूप से फल-फूल रहे कॉलोनियोें के धंधे से कालोनाइजरों की पौ बारह होने के साथ सरकारी खजाने को लाखों की चपत लग रही है। डबल इंजन की सरकार में जीरो टॉलरेंस की भी खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं।
दरअसल नई कालोनी विकसित करने से पहले प्राधिकरण से अनुमति लेना और रेरा के नियमों का पालन करना आवश्यक है, इसके लिए कालोनाइजरों को शुल्क जमा करना होता है, इसके साथ ही कालोनी में बुनियादी सुविधाएं भी देनी पड़ती है लेकिन कॉलोनाइजर रजिस्ट्रेशन फीस से बचने और बुनियादी सुविधाओं में होने वाले खर्च को बचाने के लिए नक्शा पास कराए बिना ही कालोनी काट देते हैं, नियमानुसार कालोनी में पक्की रोड, नाली, पानी की सुविधा, बिजली, खंभों पर स्ट्रीट लाइटें, पार्क आदि की सुविधाएं होनी चाहिए। मगर कॉलोनाइजर खेतों में कच्ची रोड डालकर प्लाट काट देते हैं।
अवैध कॉलोनियों के कारण सरकार को लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। कई कालोनाइजर सांठ गांठ करके कृषि भूमि को कॉलोनी में परिवर्तित कर रह रहे हैं। यही नहीं बिल्डरों की सांठ गांठ से कई कालोनियों में सड़कें सरकारी बजट से बनाई जा रही हैं। ये बिल्डर जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों से अपनी पहुंच का फायदा उठाकर सरकार को भारी नुकसान पहंुंचा रहे हैं। लेकिन इसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।।