ऊधम सिंह नगर

फ्लॉप रहा मेयर रामपाल का कार्यकाल सबसे कमजोर जनप्रतिनिधि साबित हुए रामपाल  दो दिसम्बर को कार्यकाल खत्म होते ही हो जायेंगे पैदल चंद लोगों की कठपुतली बने रहे मेयर रामपाल 

सौरभ गंगवार 

रूद्रपुर। मेयर रामपाल सिंह का कार्यकाल दो दिसम्बर को खत्म होने जा रहा है। बीते पांच साल में उनके पास उपलब्धियों के नाम पर उनके पास कुछ नहीं पांच साल में उन्होंने झूठे वायदों के अलावा कुछ नहीं दिया जिसके चलते वह शहर में सबसे कमजोर जनप्रतिनिधि साबित हुए हैं। 

मेयर की सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होने चलते पांच साल पहले एलआईसी कर्मचारी रामपाल सिंह को भाजपा से मेयर का टिकट दिया गया था न तो उनकी राजनैतिक पृष्ठ भूमि थी और न ही उन्हें प्रशासनिक व्यवस्था का अनुभव था शहर के कुछ धन्नासेठों ने अपने स्वार्थ सिद्ध करने के उद्देश्य से रामपाल को मेयर का टिकट दिला दिया और मोदी लहर के चलते रामपाल सिंह मेयर के पद पर विजयी हो गये अनुभवहीनता के चलते उन्हें चुनाव लड़ाने वाले चंद लोग पूरे पांच साल तक उन्हें अपने इशारों पर नचाते रहे नगर निगम के टेंडर से लेकर कई कामों में इन धन्नासेठों ने खूब अपनी मनमानी की और मेयर इनका अहसान चुकाने मे ही लगे रहे चुनाव के दौरान बड़े बडे़े वायदे करने वाले मेयर रामपाल सिंह इन पांच वर्षों में किच्छा रोड स्थित कूड़े के पहाड़ से भी छुटकारा नहीं दिला सके लाखों रूपये इस कूड़े के पहाड़ को हटाने के लिए खर्च किये जा चुके हैं लेकिन स्थिति आज भी जस के तस है।

 यही नहीं मेयर रामपाल सिंह ने रूद्रपुर शहर को चंडीगढ़ की तर्ज पर विकसित करने का वायदा किया था लेकिन आज शहर की स्थिति देखकर लगता है कि रूद्रपुर शहर विकास की दौड़ में कई साल पीछे रह गया है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद रूद्रपुर शहर में बड़े स्तर पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया, ताकि शहर को व्यवस्थित रूप दिया जा सके फुटपाथ और नालियां व्यवस्था की जा सके लेकिन मुख्य बाजार के हालात आज पहले से भी बदतर हैं। नगर निगम ने फुटपाथ तो बनाये लेकिन अतिक्रमण के चलते फुटपाथ आज भी गायब हैं। 

शहर की सबसे बड़ी जलभराव की समस्या आज भी जस की तस है। हर बार बरसात में व्यापारियों को मेयर की उदासीनता का खामियाजा भुगतना पड़ता है। शहर में कई सड़कें आज जर्जर हालत में हैं पार्क दयनीय हालत में है। रूद्रपुर का सबसे बड़ा गांधी पार्क का तो अस्तित्व ही समाप्त होने की स्थिति बन गयी है। पांच साल तक मेयर ने शहर के सबसे बड़े पार्क की दुर्दशा की तरफ झांककर भी नहीं देखा शहर को जाम से मुक्त दिलाने के लिए वेंडर जोन बनाने का मेयर का वायदा भी हवा हवाई साबित हुआ मेयर की अनुभवहीनता और उनकी कमजोर राजनैतिक पहुंच के चलते शहर में आज तक पार्किग स्थल नहीं बन पाये हैं। वेंडर जोन नहीं बनने के चलते आज नैनीताल रोड से हटाये गये सैकड़ों ठेली फड़ व्यवसायी रोजी रोटी का जुगाड़ नहीं कर पा रहे हैं। नैनीताल रोड से जी-20 की आड़ में उजाड़े गये व्यापारियों के सामने भी अब तक संकट बरकरार हैं। मेयर ने इन व्यापारियों के साथ खड़े होने का ढोंग तो किया लेकिन आज तक उनके लिए कुछ नहीं कर पाये। 

बीते पांच सालों में उपलब्धियों के नाम पर मेयर के पास कुछ नहीं है, इसके बावजूद वह फिर से मेयर बनने का सपना देख रहे हैं। खुद को ईमानदार और पाक साफ बताने वाले मेयर ने अपनी उदासीनता के चलते शहर को विकास की दौड़ में बहुत पीछे कर दिया है। नजूल भूमि पर मालिकाना हक दिलाने से पहले अपनी कुर्सी पर नहीं बैठने का ढोंग करने वाले मेयर अभी तक एक भी पट्टा नहीं दिला पाए हैं। हालाकि इसकी प्रक्रिया चल रही है उसमें भी मेयर की नहीं बल्कि विधायक शिव अरोरा एवं प्रदेश मंत्री विकास शर्मा की अहम भूमिका रही है। लेकिन मेयर इसका झूठा श्रेय लेने में सबसे आगे नजर आते हैं। कुल मिलाकर मेयर रामपाल सिंह का कार्यकाल पूरी तरह से फ्लाफ साबित हुआ है। निकाय चुनाव अब संभवतः लोकसभा चुनाव के बाद होने हैं। रूद्रपुर वासियों को अब एक ऐसे मेयर की जरूरत है जो झूठे वायदे नहीं बल्कि धरातल पर काम करने में सक्षम हो।

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