मन हनुमन्ता राम विराजे, रोम रोम में राम ही छाजे, राम हृदय में बसे हनुमन्ता, राम नयन में हनुमत साजे राम हनुमान महामिलन को अपलक देखते रहे हजारों नयन
सौरभ गंगवार/टुडे हिंदुस्तान
रूद्रपुर- रूद्रपुर की ऐतिहासिक प्राचीन बस स्टैंड वाली राम लीला में विगत रात्रि राम हनुमान महामिलन, हनुमान द्वारा राम लखन को कंधे पर बैठाकर श्रष्यमूक पर्वत ले जाना, राम- सुग्रीव मित्रता, सुग्रीव बाली युद्ध, बाली वध से लेकर हनुमान जी को सीता खोज में भेजनें तक की लीला का शानदार व भव्य मंचन हुआ।
इससे पूर्व आज की लीला का शुभारंभ मुख्य अतिथि बगवाड़ा के समाजसेवी श्री कश्मीर सिंह विर्क द्वारा द्वारा प्रभु श्रीराम दरबार के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्जवलित कर किया गया। श्री रामलीला कमेटी नें मुख् अतिथियों का माल्यार्पण कर एवं शाल ओढ़ाकर स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
आज प्रथम दृश्य में भगवान श्रीराम और लक्ष्मण सीताजी को खोजते खोजते ऋष्यमूक पर्वत पहुँचे। वहाँ किष्किंधा राज्य के निष्कासित राजा सुग्रीव अपने वानर साथियों के साथ रहते थे। सुग्रीव ने जब दूर से श्रीराम और लक्ष्मण को धनुष-बाण सहित आते देखा, तो वह भयभीत हो गया। उसने अपने परम विश्वासी मंत्री हनुमानजी को भेजा कि जाओ और पता लगाओ ये कौन है। हनुमानजी ब्राह्मण रूप धारण कर विनम्रता से श्रीराम लक्ष्मण के समीप पहुँचे और बोले आप दोनों तेजस्वी पुरुष कौन हैं? आपके स्वरूप से लगता है आप कोई साधारण मनुष्य नहीं है।”
भगवान श्रीराम ने मुस्कराते हुए अपने संक्षिप्त जीवनदृचरित्र का वर्णन किया और माता सीता की खोज की व्यथा कही। हनुमानजी ने जब प्रभु की वाणी सुनी, तो अत्यंत भावविह्वल हो गए और अपने वास्तविक वानर रूप में आकर प्रभु के चरणों में गिर पड़े। उन्होनें राम से खेद भी व्यक्त किया कि मैं तो अज्ञानी वानर था, प्रभु को पहचानने में मुझसे देर हो गयी। परन्तु आप तो सर्वज्ञ है, आपनें अपने अनादि भक्त हनुमान को पहचाननें में इतनी देर क्यों कर दी प्रभुकृप्रभु राम और उनके अनादि भक्त हनुमान का महामिलन हो जाता है। भावविह्वल हनुमान राम-लक्ष्मण को अपने कंधे पर बैठाकर श्रष्यमूक पर्वत पर ले जाते हैं, जहां राम-सुग्रीव आपस में मित्रता कर परस्पर सहयोग की प्रतिज्ञा करते है। राम सुग्रीव की पीड़ा जानकर उन्हें भाई बाली को ललकारनें के लिये भेजते हैं, जहां सुग्रीव के ललकारनें पर बाली युद्ध का आह्वाहन करता है और सुग्रीव की खासी मरम्मत करता है। घायल सुग्रीव पुनः राम के पास पहुंचते है, तब राम उन्हें बताते है कि दोनो भाई रंग, रूप, कदकाठी में एक समान हो, इसलिये उन्होनें तीर नहीं चलाया। अब आप मेरी एक निशानी लेकर जाओ और सुग्रीव को पुनः ललकारो। सुग्रीव के द्वारा पुनः बाली को युद्ध के लिये ललकारा जाता है, जहां राम द्वारा तीर मारकर बाली वध कर सुग्रीव को किष्किन्धा का राजपाट सौपा जाता है। सुग्रीव वर्षा ऋतु के बाद सीताजी की खोज के प्रयास करनें का वादा करता है।
इधर तीन माह की वर्षा ऋतु बीत जानें के बाद भी सुग्रीव अपने राजपाट में व्यस्त होनें के कारण सीताजी की खोज का कार्य नजरअंदाज करते हैं, तो लक्ष्मण उन्हें खरी-खोटी सुनाते है। घबराया सुग्रीव दौड़कर रामजी के चरणों में जा पड़ता है और क्षमा प्रार्थना कर चारों दिशाओं हेतु वानर सेना की टोलियों का गठन करता है। दक्षिण दिशा में लंका नगरी की तरफ राजकुमार अंगद के नेतृत्व में वीर हनुमान, जामवंत, नल, नील सहित सबसे मजबूत योद्धाओं को भेजा जाता है।
राम हनुमान महामिलन को अपलक देखते रहे हजारों नयन
रूद्रपुर की प्राचीन एवं भव्य रामलीला के कलाकारों द्वारा जिस प्रकार से पूरी श्रद्धा, मर्यादा, सम्मान, लगन, मेहनत, व अनुशासन से भाव विह्वल होकर प्रभु श्रीराम लीला में पात्र अभिनय की सेवा की जाती है, वह पूरे क्षेत्र में ख्यातिबद्ध है। आज जिस तरह प्रभु श्रीराम चन्द्र जी एवं रूद्रावतार बजरंग बली हनुमान जी के महामिलन के दृश्य में किरदार निभा रहे मनोज अरोरा एवं सुशील गाबा ने भक्ति रस में डूबकर भाव विह्वल होकर अपने किरदार को जीवंत कर दिया, उसे हजारों नयनों नें अपलक होकर निहारा। उपस्थित जनसमूह ने भगवान राम और उनके भक्त हनुमान के बीच प्रेम, भक्ति, इंतजार, प्रभु मिलन की खुशी की बयार को स्पष्ट महसूस किया। राम से मिलकर हनुमान के अश्रुधारा अविरल देर तक बहती रही। मानें उन्हें अपनी ही सुधबुध न रही। उनके भक्तिभाव से ओतप्रोत अभिनय की मिसाल को दशकों याद रखा जायेगा।
आज राम की भूमिका में मनोज अरोरा, हनुमान की भूमिका में सुशील गाबा, लक्ष्मण की भूमिका में राजकुमार कक्कड़, गणेश भगवान की भूमिका में आशीष ग्रोवर, सुग्रीव की भूमिका में मोहन अरोरा, बाली की भूमिका में वैभव भुड्डी, अंगद की भूमिका में कनव गंभीर, नल अग्रिम सचदेवा, नील-सक्षम दुआ, हनुमान के सेनापति की भूमिका में आयुष्मान सुशील गाबा, जोकर पार्टी राम कृष्ण कन्नौजिया, गोगी नरूला, कुक्कू शर्मा ने शानदार अभिनय कर उपस्थित हजारो जनता का मन मोह लिया। संचालन मंच सचिव संदीप धीर व विजय जग्गा ने किया।
इस दौरान श्री रामलीला कमेटी के सरपरस्त तिलक राज बेहड़, अध्यक्ष पवन अग्रवाल, महामंत्री विजय अरोरा, कोषाध्यक्ष अमित गंभीर, समन्यवयक नरेश शर्मा, श्रीमति बीना बेहड, पूर्वा बेहड, श्सुभाष खंडेलवाल, बिट्टू ग्रोवर, वरिष्ठ पत्रकार कंचन वर्मा, भानु चुघ, अंकुर चुघ, दीपक कुकरेजा, सौरभ गंगवार, भूपेश छिम्वाल, सुरेन्द्र शर्मा, हरविन्दर सिंह चावला, भूपेश छिम्वाल, राजकुमार मिगलानी, अरूण अरोरा, सार्थक नारंग, केवल कृष्ण बत्रा, रवि पुंशी, मनोज गाबा, हरीश अरोरा, विजय जग्गा, अमित चावला, आशीष मिड्ढा, महावीर आजाद, राकेश सुखीजा, कर्मचन्द राजदेव, अमित अरोरा बोबी, राजेश छाबडा, प्रेम खुराना, संजीव आनन्द, गौरव तनेजा, हरीश सुखीजा, मनोज मुंजाल, विशाल भुड्डी, अनिल तनेजा, रमन अरोरा, कुक्कू शर्मा, गौरव राज बेहड़, सौरभराज बेहड़, पवन गाबा पल्ली, राजकुमार कक्कड, सचिन मुंजाल, सुभाष तनेजा, चिराग तनेजा, रवि अरोरा, चिराग कालड़ा, रोहित जग्गा, सचिन तनेजा, गौरव जग्गा, सचिन आनन्द, सुमित आनन्द, रोहित नागपाल, अमन गुम्बर, रोहित खुराना, सन्नी आहूजा, कपिश सुखीजा, लवी ग्रोवर, नोनी ग्रोवर, नीतिश धीर, सन्नी सुखीजा, जतिन सुखीजा, आदि उपस्थित थे।
श्रीराम लीला में आज होगा लंका दहन
श्रीराम लीला में आज समुन्द्र तट पर हनुमान-संपाती संवाद, जामवन्त एवं वानर दल द्वारा द्वारा हनुमान जी को उनकी शक्तियां स्मरण कराना, हनुमान का लंका पहुंचना, रावण सीता संवाद, हनुमान सीता संवाद, हनुमान द्वारा अशोक वाटिका को उजाड़ना, अक्षय कुमार वध, हनुमान-मेघनाद संवाद, मेघनाद द्वारा ब्रहमास्त्र का प्रयोग कर हनुमान जी को बंदी बनाना, हनुमान-रावण संवाद, लंका दहन, हनुमान की राम कैंप में वापसी आदि दृश्य प्रमुख रूप से दिखाये जायेंगे।
अशोक वाटिका के लिये समाजसेवियों ने की भारी मात्रा में फलों की सेवा
आज होनें वाले अशोक वाटिका के लिये रूद्रपुर के समाजसेवियों नें भारी मात्रा में फलों की सेवा प्रदान की है। नानक फूट कंपनी के मालिक मनोज सचदेवा ने 50 दर्जन केले, 3 पेटी सेब और 3 पेटी नाशपाती की सेवा, बिट्टू ग्रोवर ने 120 दर्जन केले और 6 पेटी नाशपाती, समाजसेवी अमित आनन्द, विजय चिलाना, आयुष अरोरा, तरूण ग्रोवर, अशोक गगनेजा, केतन बांगा, सुनील अग्रवाल अमन गुम्बर, नीतिश धीर ने भी फलों की सेवा प्रदान की। इस भारी मात्रा में सेवा में आये फलों को लंका नगरी की अशोक वाटिका में लगाया जायेगा, जिसे हनुमान जी द्वारा उजाड़ फेंका जायेगा तथा समस्त फलों को भी प्रसाद स्वरूप जनता में बांट दिया जायेगा।