Monday, October 13, 2025
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ऊधम सिंह नगर

धर साधू का रूप, सीता को हर ले गया रावण

सौरभ गंगवार/टुडे हिंदुस्तान 

रूद्रपुर- मुख्य रामलीला में विगत रात्रि मारीच का स्वर्ण मर्ग बनकर पंचवटी पहुंचना, लक्ष्मण रेखा, सीता हरण व रावण द्वारा जटायु को घायल करनें, राम विलाप, सीताजी की खोज, राम जटायु संवाद, राम शबरी संवाद तक की लीला का का मंचन हुआ। विगत रात्रि की रामलीला का उद्घाटन मुख्य अतिथि नगर के फुट व्यापारी नानक चंद एंड कंपनी, श्री रामजी सीड्स, आर. जे. इंडस्ट्रीज के एमडी मनोज राजदेव ने सपरिवार दीप प्रज्जवलित कर किया। रामलीला कमेटी ने सभी अतिथिगणो को माल्यार्पण कर व स्मृति चिन्ह देकर सम्मनित किया।

आज के पहले दृश्य में राम सीता और लक्ष्मण संग दंडक वन के पंचवटी में गुजर बसर कर रहें है। 13 वर्षों का वनवास बीत चुकी है, अब केवल एक वर्ष ही बचा है। सभी प्रसन्नतपूर्वक जीवनयापन कर रहें है। लेकिन इस प्रसन्नता को ग्रहण लगानें के लिये षडयंत्रकारी रावण के कहने से छल प्रपची मारीच स्वर्ण मृग बनकर पंचवटी पहुंचता है। सीता माता हो यह स्वर्ण मृग बहुत आकर्षिक करता है। वह राम से इस स्वर्ण मृग को पकडने का अनुरोध करती हैं तो स्वर्ण मृग घने वनों की तरफ भाग जाता है। सीता हठ करती है कि हे राम, आपको यह स्वर्ण मृग पकड़कर लाना होगा। राम मृग के पीछे घने वनों की तरफ दौड पडते है। वक्त बीतनें पर वनों के भीतर से राम की आवाज आती है… हे भ्राता लक्ष्मण मुझे बचाओ। बार बार यह आवाज छल प्रपची मारीच के मुख से आती है, लेकिन सीता घबरा जाती हैं और लक्ष्मण से राम को बचानें की गुहार लगाती है। लक्ष्मण इसे एक भ्रम बताते हैं लेकिन आखिरकार सीता माता के द्वारा बार बार कहनें एवं उलाहना देने के कारण उन्हें एक रेखा खेंचकर उसके भीतर रहने की ताकीद करते है।

लक्ष्मण के घने वनों में जाते ही मायावी रावण साधू रूप धरकर पंचवटी पहुंचता है। लक्ष्मण रेखा को पार करने का प्रयास करते ही एक आकाशवाणी रावण को चेताती है, कि हे रावण, तू इस रेखा को पार करने हेतु छूने पर ही जलकर भस्म हो जायेगा। षडयंत्रकारी रावण अपनी एक और माया रचता है। साधू रूप में रावण बाहर आसन जमा लेता है और भिक्षा मांगता है। सीता उन्हें कुटिया के समीप आकर भिक्षा ग्रहण करने का आग्रह करती है तो वह कोधित होनें का नाटक कर राम को श्राप देने की धमकी देकर सीता को डरा देता है। भयभीत सीता के बाहर आते ही रावण अट्टाहस करते हुये अपनें असली रूप में आ जाता है। सीता लक्ष्मण रेखा के भीतर जाने का प्रयास करती हैं तो रावण कहता है कि जो स्त्री एक बार अपनी लक्ष्मण रेखा से बाहर आ जाती है, वह चाह कर भी भीतर नहीं जा पाती। दुष्ट रावण सीता का हरण कर ले जाता है। रास्ते में पक्षीराज जटायु उसे रोकने की कोशिश करता है तब रावण उसे भी गंभीर रूप से घायल कर दक्षिण दिशा को रवाना हो जाता है। इधर राम मारीच के छल को समझकर वापस लौटने लगते है तो उन्हें लक्ष्मण दिखते है। वह उन्हें कहते है कि मैं तो आपको कुटिया में छोड़कर आया था, आप यहां क्यों आये तो लक्ष्मण उन्हें उनकी चीत्कार और सीताजी की हठ के बारे मे बताते है। कुटिया में सीता को न पाकर राम अत्यन्त दुखी हो जाते है। वह उन्हें आसपास क्षेत्र में ढूंढते हैं तो उन्हें पक्षराज जटायु घायलावस्था में मिलते है। जटायु राम को बताते हैं कि लंकापति रावण सीता जी का हरण कर ले गया है। घायल जटायु राम के हाथों में दम तोड देते है। राम दक्षिण दिशा की तरफ बढ जाते है। रास्ते में उनकी मुलाकात माता शबरी से होती है, जो चिरकाल से भगवान राम की प्रतीक्षा में अपना आश्रम एकदम साफ रखती थीं। एक दिन शबरी को पता चला कि दो सुंदर युवक उन्हें ढूंढ रहे है, वे समझ गई कि उनके प्रभु राम आ गए है… वह भागती हुई अपने राम के पास पहुंची और उन्हें घर लेकर आई और उनके पांव धोकर बैठाया। शबरी श्री राम को कहती है की उसके गुरु ऋषि मतंग ने उसे बताया था कि एक दिन श्री राम अपनी पत्नी सीता को खोजते हुए एक दिन तुम्हारी कुटिया पर आएँगे और तुम्हें उन्हें बताना है की सीता की खोज करने के लिए उन्हें हनुमान की सहायता से सुग्रीव से मित्रता करनी होगी और सुग्रीव व हनुमान की सहायता से रावण पर विजय पाएँगे और माता सीता को पुनः पा लेंगे। शबरी माता के दिये हुए मीठे बेर राम को दिए राम ने बड़े प्रेम से वे बेर खाए और लक्ष्मण को भी खाने को कहा। लक्ष्मण को जूठे बेर खाने में संकोच हो रहा था, राम का मन रखने के लिए उन्होंने बेर उठा तो लिए लेकिन खाए नहीं। राम श्रष्यमुख पर्वत की दिशा की तरफ बढ़ जाते है।

आज राम की भूमिका में मनोज अरोरा, रावण की भूमिका में विशाल भुड्डी, सीता की भूमिका में गौरव जग्गा, लक्ष्मण की भूमिका में राजकुमार कक्कड, शबरी की भूमिका में हरीश सुखीजा, मारीच की भूमिका में मोहन लाल भुड्डी, गणेश भगवान की भूमिका में आशीष ग्रोवर, जटायु की भूमिका में गोला ईदरीसी ने शानदार अभिनय कर उपस्थित जनसमूह का दिल जीत लिया। संचालन मंच सचिव विजय जग्गा व संदीप धीर ने किया।

इस दौरान श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष पवन अग्रवाल, महामंत्री विजय अरोरा, कोषाध्यक्ष अमित गंभीर, समन्वयक नरेश शर्मा, सुशील गाबा, बीना बेहड, नीतू राजदेव, परी, रूही, अनिका, जियांश, गौरव तनेजा, अमित अरोरा बोबी, राजेश छाबडा, जगदीश टंडन, राकेश गंभीर, महावीर आजाद, राकेश सुखीजा, कर्मचन्द राजदेव, हरीश अरोरा, सुभाष खंडेलवाल, दिनेश खंडेलवाल, प्रेम खुराना, संजीव आनन्द, आशीष ग्रोवर आशू गौरव राज बेहड, सौरभ राज बेहड, मनोज गाबा, अमित चावला, आशीष मिड्ढा, सुभाष तनेजा, पुलकित बांबा, सुमित आनन्द, वैभव भुड्डी, रोहित नागपाल, सन्नी आहूजा,, कपिश सुखीजा, बिट्टू ग्रोवर, रवि अरोरा, रोहित जग्गा, सचिन तनेजा, वैभव ग्रोवर, अशोक भल्ला, बल्लू घीक, अभिषेक खेडा, विजय चिलाना, आशू गंभीर, पारस अरोरा, समप्रीत ग्रोवर, आलोक कालडा, सचिन गुम्बर, आदि उपस्थित थे।

रामलीला में आज राम – हनुमान महामिलन से लेकर बाली वध तक की लीला का होगा मंचन

रूद्रपुर की प्राचीन मुख्य राम लीला में आज प्रभु रामचन्द्र जी व उनके अनादि भक्त हनुमान के महामिलन का सुंदर दृश्य दिखाया जायेगा। आज ठीक 9 बजे से राम-हनुमान महामिलन, हनुमान का राम लक्ष्मण को कंधे पर बैठाकर श्रष्यमुख पर्वत पर ले जाना, राम सुग्रीव मित्रता, सुग्रीव बाली युद्ध तथा बाली वध व अंगद विलाप तक की लीला का सुंदर मंचन दिखाया जायेगा। राम जी के पात्र की भूमिका में अनुभवी कलाकार मनोज अरोरा तथा हनुमान जी की भूमिका में अयोध्या तक पैदल यात्रा कर चुके सुप्रसिद्ध रामभक्त सुशील गाबा पर्दे पर आयेंगें।

व्हील चैयर पर ही श्रीरामकार्य में सेवा दे रहें है गोगी नरूला

श्री रामलीला में विगत 3 दशकों से जोकर पार्टी में सेवा दे रहे गुरमीत नरूला गोगी विगत कुछ दिन पहलें सड़क दुर्घटना में घायल होने के के कारण व्हील चैयर पर है। पहले से ही दिव्यांग गोगी की दूसरी टांग का आपरेशन के कारण चलने फिरने में बिल्कुल असमर्थ है, लेकिन श्री रामलीला से जुडाव उन्हें पर्दे पर खेच ही लाया जिंदांदिल और हंसमुख व्यवहार के धनी गोगी व्हील चैयर पर ही अपनी हास्य कला का प्रर्दशन करते हुये जोकर की भूमिका को बखूबी निभा रहें है। जोकर की भूमिका के साथ साथ गोगी अपने सुमधुर कंठ से मातारानी के भजनों को भी गाकर जनता को नवरात्र की बधाई भी देते हैं।।

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