Monday, October 13, 2025
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ऊधम सिंह नगर

राम भरत मिलि गए, अति प्रीति परमानंद.. देख मिलन सुत प्रेम के, रोए सब नर-नंद.

सौरभ गंगवार/टुडे हिंदुस्तान 

रूद्रपुर नगर की प्रमुख बस अड्डे वाली रामलीला में आज अयोध्या के दूत द्वारा भरत एवं शत्रुघन को उनकी ननिहाल से बुला लाने, अयोध्या में हर किसी को शोक संतप्त देखनें, माता कैकई द्वारा राजपाट मिलनें, पिता दशरथ की मृत्यु एवं राम को वनवास मिलनें की खबर से विचलित होकर माता कैकयी को बुरे वचन कहना, राम से मिलनें वनों को जाना, राम भरत मिलाप एवं खड़ाउं लेकर वापस अयोध्या को रवाना होनें के दृश्यों का सुंदर मंचन हुआ।

आज दीप प्रज्जवलन मुख्य अतिथि मुख्य अतिथि वर्ष 1997 से ही पूरे उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड में कृषि उपकरणो के निर्माण में अग्रणी जय गुरूदेव इंडस्ट्रीज के स्वामी, नगर के प्रमुख समाजसेवी श्री बंसीधर गुम्बर जी, उनके सुपुत्र अरविन्द गुम्बर, पौत्र युग गुम्बर, सार्थक गुम्बर एवं पौत्री ध्वनि शब्द के करकमलों द्वारा सपरिवार किया गया। श्री रामलीला कमेटी नें गुम्बर परिवार द्वारा सामाजिक एवं धार्मिक सस्थाओं को निरंतर सहयोग के लिये हार्दिक आभार व्यक्त करते हुये माल्यार्पण कर, शाल ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।

आज प्रथम दृश्य में अयोध्या का दूत भरत-शत्रुघन के ननिहाल पहुंचता है और उन्हें वापस अयोध्या लिवा लाता है। अयोध्या पहुंचकर भरत को हर तरफ गम के बादल छाये हुये मिलते हैं। वह माता कैकयी के पास पहुंचते हैं तो कैकयी उन्हें राजपाट मिलनें की बधाई देती है, लेकिन भरत पिता दशरथ से न मिल पानें के लिये आतुर हैं। भरत को राम भी महलों में दिखायी नहीं देते तो वह कैकयी से इसका कारण पूछतें हैं। कैकयी टालमटोल करती है, लेकिन भरत के जिद करनें पर वह बताती है कि उसनें राजा दशरथ से भरत के लिये राजपाट और राम के लिये वनबास मांगा है। इसी गम में राजा दशरथ स्वर्ग सिधार गये और राम वनों को चले गये। भरत सिर पकड़ लेता है। भरत कैकई को एकटक निहारते रह गए, जैसे उनकी वाणी चली गई हो। कैकई ने प्रसन्न भाव से अपनी समूची योजना और महल में घटी घटनाओं को विस्तार से बताया। भरत कुछ नहीं बोल रहे थे, बस उनकी आंखें लगातार बरस रही थीं।

कैकई जब सब कह चुकीं तब भरत की तन्द्रा टूटी। कुछ पल तक माता का चेहरा निहारते रहने के बाद बोले- ‘रे नीच! अभागन ! इतना बड़ा पाप करने के बाद भी जी रही है, तुझे अपने जीवन पर लज्जा नहीं आती? मुझ निर्दोष को समस्त संसार के लिए अछूत बना देने वाली दुष्टा ! जी करता है तेरा गला दबा कर मार दूं तुम्हें…. रोते भरत के दोनों हाथ कैकई के गले तक पहुंचते, तब तक शत्रुघन ने उनके दोनों हाथों को थाम लिया।

भरत पिता का अंतिम संस्कार करके तीनों रानियों, मंत्रियों सेना एवं प्रजा के साथ वनों को दौड़ जाते हैं। जैसे ही चक्रवर्ती सेना और भरत को आते देखा। आग बबूला होकर राम के पास आते हैं और कहते हैं कि भरत बड़ी सेना के साथ हमारी ओर बढ़ रहा है। तभी राम मुस्कुराते हुए कहते हैं ठहर जाओ। अनुज भरत को आने तो दो। भरत राम के चरणों में गिरकर क्षमा याचना करने लगते हैं। दोनों की आंखों से अश्रुओं की धारा बहनें लगती है। उसके बाद भरत पिता के बारे में राम से कहते हैं कि अब हमारे बीच पिता श्री नहीं रहे यह शब्द सुनकर श्री राम और सीता लक्ष्मण व्याकुल हो शोकाकुल हो जाते है।

राम को अपने साथ ले जाने के लिए भरत मिन्नतें करते हैं। मगर श्री राम कहते हैं कि पिता के दिए हुए वचन का मर्यादा नहीं टूटे। भरत ने श्री राम के चरण पादुका को अपने सर पर उठाकर आंखों में अश्रु के साथ वहां से विदा होते हैं।

आज की लीला में राम मनोज अरोरा, भरत पुलकित बांबा, लक्ष्मण गौरव जग्गा, सीताजी दीपक अग्रवाल, गणेश भगवान-आशीष ग्रोवर आशू, भरत के मामाजी अनिल तनेजा, सुमन्त-सचिन आनन्द, कौशल्या सुमित आनन्द, कैकई नरेश छाबड़ा, सुमित्रा का किरदार अग्रिम सचदेवा, विशिष्ट- मनोज मुंजाल नें निभाया। संचालन मंच सचिव विजय जग्गा एवं संदीप धीर नें किया।

इस दौरान श्रीरामलीला कमेटी के अध्यक्ष पवन अग्रवाल, महामंत्री विजय अरोरा, कोषाध्यक्ष अमित गंभीर सीए, समन्वयक नरेश शर्मा, पंत यूनिवर्सिटी के पूर्व वीसी डा० बी एस बिष्ट, अशोक अग्रवाल, दिनेश कपूर, सतीश बाम्बा, विजय जग्गा, राकेश सुखीजा, अमित अरोरा बोबी, राजेश छाबड़ा, कर्मचन्द राजदेव, सुभाष खंडेलवाल, केवल कृष्ण बत्रा, हरीश अरोरा, महावीर आजाद, अमित चावला आशीष मिड्ढा, रघुवीर अरोरा, संदीप धीर, मोहन लाल भुड्डी, प्रेम खुराना, संजीव आनन्द, गौरव तनेजा, आशीष ग्रोवर आशू, हरीश सुखीजा, मनोज मुंजाल, विशाल भुड्डी, राम कृष्ण कन्नौजिया, बंटी बाम्बा, अनिल तनेजा, रमन अरोरा, कुक्कू शर्मा, गौरव राज बेहड़, सौरभ राज बेहड़, राजकुमार कक्कड़, सचिन मुंजाल, सुभाष तनेजा, वैभव भुड्डी, दीपक अग्रवाल, रोहित नागपाल, अमन गुम्बर, रोहित खुराना, गोगी, सन्नी आहूजा, कपिश सुखीजा, राजन राठौर, बिट्टू ग्रोवर, सनी आहूजा, सनी कोहली, लवी ग्रोवर, नोनी ग्रोवर, शिवांश कोहली, शौर्य अरोरा, आयुष धमीजा, नीतिश धीर, मोहन अरोरा, हर्ष अरोरा, रोनिक मुंजाल, गर्वित मुंजाल, केतन बांगा, जतिन सुखीजा, चिराग तनेजा, अभय भुड्डी, पुरुराज बेहड़, आशमन अरोरा, अभि चुघ, तन्मय आनन्द, आयुष्मान सुशील गाबा, रवि अरोरा, चिराग कालड़ा, रोहित जग्गा, सचिन तनेजा, दिव्यांश गोयल, कनव गंभीर, महेश गर्ग, संजीव कामरा, आदि उपस्थित थे।

मंच संचालन में विजय जग्गा की विशेष शैली नें समां बांध रखा है। विगत 38 वर्षों से श्रीराम लीला से सक्रिय रूप से जुड़े विजय जग्गा ठीक 9 बजे मंच पर पहुंचकर संचालन प्रारम्भकर देते है। इस मंच की नींव रखनें के ऐतहासिक दिवस पर श्री जग्गा रामलीला कमेटी के महामंत्री के रूप में कार्यरत थे। 20 वर्षों तक महामंत्री रहे विजय जग्गा संचालन करते समय मर्यादा को विशेष ध्यान में रखते हुये समयानुसार सभी पर्दे करवानें पर विशेष ध्यान देते है। श्री जग्गा नें कहा कि जब तक प्रभु श्रीराम का आर्शीवाद उन पर रहेगा, तब तक वह पूरी शिद्दत से श्री रामकार्य की सेवा करते रहेंगें।

जोकर पार्टी नें गुदगुदाया सैंकड़ो क्षेत्रवासियों को

रूद्रपुर की मशहूर जोकरों की चौकड़ी नें आज रात्रि अपनी विशेष प्रस्तुति देकर उपस्थित सैंकड़ों क्षेत्रवासियों को हंसने पर मजबूर कर दिया। जोकर पार्टी के रामकृष्ण कन्नौजिया, कुक्कू शर्मा, गोगी नरूला आदि नें गंभीर रूप से चल रहे भरत मिलाप के पर्दों के मध्य में आकर परदेसी की शेव नामक प्रस्तुति से माहौल को हल्का कर दिया।

टैंट की सेवाओं के लिये सुधीर अरोरा को किया सम्मानित

विगत अनेंकों वर्षों से रामलीला मंचन में लागत पर ही टैंट कार्य की सेवाएं दे रहे समाजसेवी को श्री रामलीला कमेटी नें शाल ओढ़ाकर सम्मानित किया। कमेटी नें श्री अरोरा की सेवाओं को सराहते हुये कहा कि आज के पेशेवर युग में भी सुधीर अरोरा जैसे समाजसेवी अपनी पूरी मेहनत एवं श्रद्धा से श्रीराम कार्य में अपना सहयोग बिल्कुल लागत मूल्य पर देकर समाजसेवा कर रहे है।

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