प्राकृतिक खेती एक रसायन मुक्त खेती है। मुख्य कृषि अधिकारी
सौरभ गंगवार/टुडे हिंदुस्तान
रूद्रपुर। मुख्य कृषि अधिकारी डॉ0 अभय सक्सेना ने बताया कि जनपद में केन्द्र पोषित योजना नेशनल मिशन ऑन नूचुरल फार्मिंग (प्राकृतिक खेती) का संचालन 06 विकास खण्डों में 30 कलस्टरों में किया जा रहा है। जिसका कुल क्षेत्रफल 1500 है० है। प्राकृतिक खेती सस्ती टिकाऊ एवं आर्थिक सुरक्षा का सुरक्षित उपाय है साथ ही प्राकृतिक खेती मृदा, पौधों, जानवरों, जलवायु और कृषि आवश्यक्ताओं की प्राकृतिक आम्मनिर्भता को मान्यता देती है। उन्होने बताया कि जनपद के सभी 30 कलस्टरों में 3750 कृषकों को लाभान्वित किया जाना प्रस्तावित है।
श्री सक्सेना ने बताया कि प्राकृतिक खेती एक रसायन मुक्त खेती है इसका उद्देश्य मिट्टी के स्वास्थ में सुधार करना एवं लागत को कम करना है। उन्होने बताया कि प्राकृतिक खेती में पशुपालन, कृषि निवेशों जैसे बीजामृत, जीवामृत धन जीवामृत, नीमास्त्र, दशपर्जी आदि पारम्परिक बीजों का प्रयोग एवं खेतों में बफरजोन पर पेढी का एक कारण शामिल है। प्राकृतिक खेती का मुख्य उद्देश्य खेत में तैयार प्राकृतिक खेती के बायो इनपुट वाले प्रयोग को बढ़ावा देना तथा बाहर से खरीदे गये इनपुट पर निभरर्ता कम करना और इनपुट लागत को घटाना है प्राकृतिक रूप से उगाये गये रसायन मुक्त उत्पादों के लिए व्यक्तिगत राष्ट्रीयवाद का निर्माण और प्रचार-प्रसार करना साथ ही उगाई जाने वाली परम्परागत फसलों को प्राकृतिक कृषि प्रणाली से उगाकर इनका महत्व गुणवत्ता एवं व्यापारिक सम्भावनाये बढ़ाने हेतु कृषकों को प्रोत्साहित करना है। उन्होने बताया कि जनपद में कुल 3750 कृषकों के सापेक्ष 3001 कृषकों का कृषि मैपर पर रजिस्ट्रेशन हो चुका है।
मुख्य कृषि अधिकारी ने बताया कि सभी 30 कलस्टरों को चयन के उपरान्त कृषकों का रजिस्ट्रेशन कृषि मैपर पर गतिमान है तथा सभी कलस्टरों ने कृषि सखी का चयन हो चुका है योजना में दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुरूप मृदा नमूनों का एकत्रीकरण एवं मृदा स्वास्थय कार्ड वितरण किया जा रहा है। उन्होने बताया कि खरीफ में कुल 912 मृदा नमूने एकत्र किये गये है। शेष लक्ष्यानुसार रवी सीजन में पूर्ण कर लिये जायेगे। उन्होने बताया कि प्राकृतिक खेती को सफलतापूर्वक अपनाने के लिये पशु और पौधे आधारित प्राकृतिक जैव-आदान तैयार करने के लिये पशुधन और पौधों की उपलब्धता आवश्यक है, इसलिये आवश्यक्तानुसार बायो इनपुट रिर्सोस सैन्टर (बी०आर०सी०) स्थापित किये जायेंगे। बी०आर०सी० एक कलस्टर स्त्रीय इन्टरप्राईज है. ये स्थानीय रूप से तैयार प्राकृतिक जैव आदान तैयार करेंगे और उन किसानों को आपूर्ति करेगा जो व्यक्तिगत रूप से उनका उत्पादन करने में सक्षम नहीं है। इसी तरह प्रत्येक कलस्टर में 02 कृषि सखी का चयन किया गया है जिनका प्रशिक्षण 06 अक्टूबर से 10 अक्टूबर 2025 तक गोविन्द बल्लभ पन्त विश्व विद्यालय पन्तनगर में कराया जाना प्रस्तावित है। प्रशिक्षित कृषि सखी भविष्य में प्राकृतिक खेती योजना को आगे संचालन करने में सहयोग करेंगी।।