Saturday, July 27, 2024
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ऊधम सिंह नगर

आयुष्मान और ईएसआई के लाभार्थियों से निजी अस्पतालों में हो रही लूट खसोट नियमों की धज्जियां उड़ा रहे कुछ निजी अस्पताल सरकार की योजनाओं को पलीता लगा रहे निजी अस्पताल

सौरभ गंगवार 

रूद्रपुर। चिकित्सक को धरती का भगवान की संज्ञा दी जाती है लेकिन कई चिकित्सक आज पैसे के मोह में मानवता को भी भूल रहे हैं। शहर एवं आस पास स्थित कई निजी अस्पताल सरकार द्वारा चलाई जा रही आयुष्मान और ईएसआईसी के लाभार्थियों से भी अवैध वसूली करने से पीछे नहीं हट रहे गरीब मरीज और उनके परिवारजन निजी अस्पतालों की लूट खसोट को सहन करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

बता दें केन्द्र और प्रदेश सरकार ने गरीब जरूरतमंदों को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए आयुष्मान कार्ड और ईसएसआईसी जैसी योजनाएं शुरू की हैं। आयुष्मान कार्ड के तहत लाभार्थियों को पांच लाख तक ईलाज की सुविधा दी जाती है जबकि ईएसआईसी के लाभार्थियों को पूरा ईलाज मुफ्त प्रदान किया जाता है।

ईएसआईसी के तहत जिन कर्मचारियों की आय कम है, उनके इलाज के खर्च का बोझ कम हो सके और किसी भी तरह की अनहोनी होने पर परिवार की मदद की जा सके, इसके लिए केंद्रीय श्रम मंत्रालय कर्मचारी राज्य बीमा योजना चलाता है। ईएसआई योजना का फायदा प्राइवेट कंपनियों, फैक्ट्रियों और कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों और कर्मचारियों को मिलता है। कर्मचारी को ईएसआई कार्ड जारी किया जाता है। ऐसे में अगर कोई इस योजना के तहत मुफ्त इलाज का लाभ उठाना चाहता है तो उसे ईएसआई डिस्पेंसरी या हॉस्पिटल में जाना होता है। कर्मचारियों को ईएसआई कार्ड या फिर कंपनी से लाए गए डाक्यूमेंट्स के आधार पर स्कीम का फायदा मिलता दरअसल ईएसआई एक हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम है। ये स्कीम प्राइवेट सेक्टर में काम कर रहे कर्मचारियों के स्वास्थ्य को मद्देनज़र रखते हुए बनाई गई है। हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में अगर काम के दौरान कोई भी कर्मचारी दुर्घटना का शिकार होता है तो उसके इलाज के लिए ईएसआई स्कीम के जरिये लाभ दिया जा सकता है। इस स्कीम को कुछ इस तरह डिजाइन किया गया है ताकि जरूरत पड़ने पर कर्मचारियों और उनके परिवार के सदस्यों को मेडिकल केयर दी जा सके इस स्कीम को शुरू करने के पीछे भारत सरकार का मुख्य उद्देश्य मजदूरों और अस्थाई कर्मचारियों को स्वास्थ्य संबंधी इमरजेंसी में मदद करना है।

पूर्व में किसी भी ईएसआईसी लाभार्थी या उसके परिवार के सदस्य को ईएसआईसी के अस्पताल या उन अस्पतालों के पैनल में इलाज कराने की सुविधा मिलती थी जो उसके पैनल में होते थे जहां पर उसको रेफर किया जाता था अब एमर्जेंसी की स्थिति में किसी भी नजदीकी अस्पताल में जाकर इलाज करा सकते हैं। कई बार किसी बीमारी या दुर्घटना का शिकार हो जाने पर या तो नौकरी छूट जाती है या फिर इलाज कराना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में इस ईएसआई स्कीम के जरिए कर्मचारियों और मजदूरों और उनके परिवारों को इंश्योरेंस कवरेज मिलता है और इसमें मेटरनिटी को भी कवर किया गया है। इस स्कीम के तहत न सिर्फ इलाज कराया जा सकता है बल्कि काम के दौरान अगर कर्मचारी और मजदूर की मौत हो जाती है तो परिवार को पेंशन का भुगतान भी किया जाता है।

एक तरह से मजदूर और निम्न तबके के लिए यह सरकार की यह सबसे बड़ी सौगात है लेकिन कई अस्पताल सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना को पलीता लगा रहे हैं। इस मामले में रूद्रपुर में किच्छा रोड पर स्थित एक नामी गिरामी अस्पताल कुख्यात हो चुका है। यहां पर ईएसआईसी के लाभार्थियों को भर्ती तो कर लिया जाता है लेकिन बाद में मरीज से यह कहकर वसूली की जाती है कि उपचार में जो दवाईयां चाहिए वह उसकी सुविधा ईएसआईसी में नहीं मिलती जबकि सरकार ने ईएसआईसी कार्ड धारक के लिए ईलाज की पूरी व्यवस्था निःशुल्क की है। जिस मरीज को भर्ती किया भी जाता है उसका जमकर आर्थिक शोषण किया जाता है। यानि अस्पताल सरकार से तो मरीज के ईलाज का पैसा वसूलते ही हैं साथ ही मरीज से भी वसूली करते हैं। इस तरह अस्पताल ईएसआईसी के इलाज के नाम पर दोनों हाथों से चांदी काट रहे हैं। मरीज और उनके परिजनों को यह सब सहने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

कुछ ऐसा ही हाल आयुष्मान योजनों का भी है। पहले तो अस्पताल आयुष्मान कार्ड धारकों को भर्ती करने से ही इनकार कर देते हैं। जो अस्पताल मरीज को भर्ती करते हैं वह भी मरीज के ईलाज के नाम पर मरीज से तो लूट खसोट करते ही हैं साथ ही ईलाज के नाम पर सरकार से भी मोटी कमाई करते हैं। पूर्व में जांच में आयुष्मान कार्ड के नाम पर कई घोटाले सामने आने के बावजूद प्राईवेट अस्पतालों में इस योजना के नाम पर काली कमाई का खेल थमा नहीं है। बताया जाता है कि अस्पतालों को इस लूट खसोट में स्वास्थ्य विभाग के कुछ अधिकारियों का भी संरक्षण मिल रहा है।

पूर्व में कई अस्पतालों के खिलाफ आयुष्मान घोटाले पर कार्रवाई हुई थी, जिसके बाद अस्पतालों में आयुष्मान के नाम पर चल रही लूट खसोट पर अंकुश लगा था लेकिन अब पुनः कई अस्पतालों ने आयुष्मान योजना को कमाई का जरिया बना लिया है। इसमें फर्जी बिलिंग का खेलत तो चलता ही है साथ ही मरीजों से भी वूसली की जाती है।

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