Sunday, July 6, 2025
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यौन सुख के लिए बुजुर्ग ने प्राइवेट पार्ट में डाली प्लास्टिक की गेंद फंसी, वरिष्ठ सर्जन डॉ. केदार सिंह शाही ने बिना सर्जरी निकाली, मानसिक स्वास्थ्य पर भी दी चेतावनी

यौन सुख के लिए बुजुर्ग ने प्राइवेट पार्ट में डाली प्लास्टिक की गेंद फंसी, वरिष्ठ सर्जन डॉ. केदार सिंह शाही ने बिना सर्जरी निकाली, मानसिक स्वास्थ्य पर भी दी चेतावनी

– 57 वर्षीय बुजुर्ग ने यौन सुख के लिए प्राइवेट पार्ट में डाली प्लास्टिक की गेंद , फंसने के बाद दर्द से तड़पते हुए रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज पहुंचे
– वरिष्ठ सर्जन डॉ. केदार सिंह शाही ने बिना सर्जरी गेंद को सिग्मॉइडोस्कोपी तकनीक से सुरक्षित निकाला गया
– बताया अधिकतर मामलों में ऐसे मरीज मनोरोग से होते हैं ग्रसित है, सही समय पर काउंसलिंग करना जरूरी है 

सौरभ गंगवार/अभिषेक शर्मा

रुद्रपुर। यौन सुख की चाहत को लेकर मनुष्य किस हद तक गुजर सकता है , इसका ताजा मामला नैनीताल रोड स्थित पंडित राम सुमेर राजकीय कॉलेज में देखने को मिला है l जहां एक 57 वर्षीय बुजुर्ग व्यक्ति ने यौन सुख प्राप्त करने की चाह में अपने प्राइवेट पार्ट में प्लास्टिक की गेंद डाल ली। गेंद अंदर फंस जाने के बाद जब असहनीय पीड़ा होने लगी तो बुजुर्ग को तत्काल पंडित राम सुमेर राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। जहां मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य एवं वरिष्ठ सर्जन डॉ. केदार सिंह शाही ने बिना सर्जरी के गेंद को सफलतापूर्वक बाहर निकाला।

डॉ. शाही ने बताया कि बीते दिनों एक बुजुर्ग को पेट में दर्द और दो दिनों से शौच नहीं होने की समस्या हुई, जिसके बाद उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में लाया गया। जहां तत्काल उनके पेट का एक्स-रे किया गया, जिसमें गेंद प्राइवेट पार्ट के ऊपरी हिस्से में फंसी हुई दिखाई दी। बुजुर्ग की गंभीर हालत व आंत फटने की आशंका को देखते हुए उन्हें सर्जरी के लिए तुरंत मरीज को ‘सिग्मॉइडोस्कोपी’ नामक एक विशेष एंडोस्कोपिक तकनीक के जरिए इलाज किया गया, जिससे बिना चीरफाड़ किए ही गेंद को शरीर से बाहर निकाला गया। फिलहाल मरीज एकदम स्वस्थ है और उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है।

डॉ. शाही ने बताया कि इस तरीके का मामला रुद्रपुर मेडिकल कॉलेज में पहली बार आया है , लेकिन यह कोई पहला मामला नहीं है l इस तरह के मामले आमतौर पर उन व्यक्तियों में देखने को मिलते हैं, जो किसी न किसी मानसिक विकार से पीड़ित होते हैं या जिन्हें उचित यौन जानकारी नहीं मिल पाई होती।

डॉ. शाही ने चेताया कि यौन सुख के लिए इस प्रकार के अस्वाभाविक और खतरनाक उपाय न केवल शारीरिक नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित करते हैं। ऐसे मामलों में तत्काल चिकित्सा सहायता और मनोवैज्ञानिक परामर्श अनिवार्य हो जाता है। अगर ऐसे मरीजों की समय पर काउंसलिंग नहीं की गई, तो आगे चलकर यह उनकी जान पर बन सकती है।

क्या आज भी हमारे समाज में यौन शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को वह प्राथमिकता मिल रही है जिसकी आवश्यकता है?

वरिष्ठ सर्जन डॉक्टर शाही ने बताया कि ऐसे मामलों को छिपाने या शर्म की दृष्टि से देखने की बजाय, समाज को इन्हें जागरूकता के अवसर के रूप में लेना चाहिए यदि समय पर सही जानकारी और मार्गदर्शन दिया जाए, तो इस तरह की घटनाएं रोकी जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अस्वाभाविक यौन प्रवृत्तियों या मानसिक अस्थिरता से जूझ रहा हो, तो उसे छिपाने की बजाय तत्काल चिकित्सा और मानसिक परामर्श लें ये समस्याएं इलाज योग्य हैं, लेकिन देर करने पर परिणाम गंभीर हो सकते हैं।।

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