गन्ना विकास समिति के प्रशासक प्रबंध कमेटी की हुई बैठक
रिपोर्ट। रमेश यादव, सितारगंज
सितारगंज। सहकारी गन्ना विकास समिति सितारगंज में प्रशासक प्रबंध कमेटी की आपातकालीन बैठक संपन्न हुई। बैठक के दौरान 6 प्रस्तावो पर चर्चा की गई सहकारी गन्ना विकास समिति में, प्रशासक प्रबंध कमेटी की हुई बैठक में, तय किया गया कि गन्ना समिति में चीनी मिल तोल तिथि से, 2 दिन पूर्व सूचना दिया जाए, साथ ही ओवरवेट गन्ने की तोल न की जाए। समिति द्वारा जारी की गई तिथि से 72 घंटे बाद गन्ने की पर्ची न तोली जाए, समिति परिसर में खाली पड़ी भूमि पर वृक्षारोपण किया जाए एवं चीनी मिल में कृषकों के लिए सुविधा अनुसार, सूचना केंद्र बनाया जाए। गन्ना समिति की प्रबंध कमेटी की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि गन्ने का मूल्य 400 रुपए प्रति कुंतल किया जाए। बैठक में चीनी मिल के प्रधान प्रबंधक अमर शर्मा, प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह, उपाध्यक्ष सर्वजीत सिंह, गन्ना समिति सचिव ताहिर अली, बृजेश, गोविंद राव, गुरविंदर सिंह, शीला देवी, जस्सा सिंह, अनिरुद्ध राय, मनजिंदर सिंह, योगेंद्र यादव, शिव शंकर यादव, राजू यादव, भगवान दास, गुरविंदर सिंह, सोनाराम, रविंद्र सिंह, सुमंत प्रसाद, दर्शन सिंह, सर्बजीत सिंह, निताई व्यापारी, विमल सरदार, आलोक सक्सेना, गुरु दर्शन सिंह, गुरविंदर पाल, दरबारा सिंह, अशोक कुमार, श्यामलाल समेत तमाम किसान मौजूद थे।
मिल प्रबंधन का दावा हुआ हवा हवाई
सितारगंज। पेराई सत्र आरंभ करते समय, मिल प्रबंधन द्वारा गन्ने का पेराई 25 हजार कुंतल के सापेक्ष, इस वर्ष 32 हजार कुंतल प्रतिदिन पेराई किए जाने का दावा किया गया था। परंतु पेराई सत्र आरंभ हुए महज कुछ ही समय हुआ है, परंतु मिल प्रबंधन का दावा पूरी तरह से हवा हवाई में है। 32 हजार कुंतल प्रतिदिन पेराई के दावे से उलट महज, 17 हजार कुंतल गन्ने की ही पेराई ही हो पा रही है। जिस कारण गन्ना किसानों को खासा परेशानियों से रूबरू होना पड़ रहा है।
यूपी के किसानों पर गन्ना मिल है मेहरबान
सितारगंज। सितारगंज स्थित चीनी मिल में उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का बोलबाला है। उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों पर मिल प्रबंधन भी खासा मेहरबान दिख रहा है। जानकारी के अनुसार चोरी-चोरी टोकन रजिस्टर अंदर छुपा कर रखा जाता है, रातों-रात उत्तर प्रदेश से आई गन्ने से भरी ट्रालियों को रात में ही खाली करवाया जाता है, जबकि नियमानुसार उत्तराखंड की मिले बिना केन कमिश्नरों की समिति के बिना गन्ना नहीं खरीद सकती। बावजूद भी नियम को ताक पर रखकर, उत्तर प्रदेश से आ रही गन्ने को मिल प्रबंधन द्वारा तवज्जो दी जा रही हैं। जिस कारण उत्तराखंड के किसान अपनी गन्ना तुलवाने में पीछड़ रहे हैं। जिस कारण उत्तराखंड के किसानों को अपने खेतों में गेहूं आदि की बिजाई करने में भी काफी कठिनाई आ रही है।