जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए जोड़तोड़ शुरू रेनू गंगवार फिर से जिला पंचायत अध्यक्ष की दौड़ में शामिल नतीजों से पहले सियासी मुलाकातें और समीकरण तेज़
जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए जोड़तोड़ शुरू
रेनू गंगवार फिर से जिला पंचायत अध्यक्ष की दौड़ में शामिल
नतीजों से पहले सियासी मुलाकातें और समीकरण तेज़
सौरभ गंगवार/टुडे हिंदुस्तान
रुद्रपुर। 28 जुलाई को त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में मतदान संपन्न होते ही पूरे प्रदेश में अब जोड़तोड़ और समीकरण साधने की कवायद शुरू हो चुकी है। ज़िला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर जहां तमाम समीकरणों की बुनियाद रखी जा रही है, वहीं ऊधमसिंह नगर की राजनीति एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। कारण है-इस सीट पर लंबे समय से प्रभावी गंगवार परिवार की सक्रियता और भाजपा द्वारा ‘भंगा सीट’ पर समर्थित प्रत्याशी नहीं उतारने का अप्रत्याशित फैसला।
जहाँ प्रदेशभर में भाजपा और कांग्रेस ने लगभग सभी सीटों पर समर्थित प्रत्याशियों की सूची जारी की थी, वहीं ऊधमसिंह नगर के भंगा वार्ड को ओपन छोड़ना सबको चौंका गया। यह वही सीट है जहां से गंगवार परिवार पिछले दो दशकों से ज़िला पंचायत अध्यक्ष पद पर काबिज रहा है। भाजपा के इस रुख से यह संदेश गया कि पार्टी अब गंगवार परिवार को सीधे तौर पर समर्थन नहीं दे रही, जिससे उनके वर्चस्व पर सवाल उठने लगे हैं।
हालांकि, राजनीतिक माहौल तब और गरमा गया जब चुनाव के तुरंत बाद निवर्तमान जिला पंचायत अध्यक्ष रेनू गंगवार के पति सुरेश गंगवार की मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से उनके खटीमा स्थित आवास पर मुलाकात की तस्वीरें सार्वजनिक हो गईं। इससे पहले भंगा सीट पर हरियाणवी कलाकार सपना चौधरी की सभा और उसके लिए किए गए प्रशासनिक प्रबंधों ने भी यह संकेत दिया कि गंगवार परिवार को संगठन के भीतर अनकहा समर्थन अब भी प्राप्त है।
इस मुलाकात को लेकर राजनीतिक गलियारों में अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। सवाल उठने लगे हैं कि क्या भाजपा ने वास्तव में गंगवार परिवार से दूरी बनाई है या फिर रणनीति के तहत उन्हें स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरने का अवसर दिया गया है? विश्लेषकों का मानना है कि सुरेश गंगवार की यह मुलाकात कोई सामान्य औपचारिकता नहीं थी, बल्कि यह दिखाता है कि जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी के लिए गंगवार परिवार अब भी अपनी राजनीतिक पकड़ बनाए हुए है।
सुरेश गंगवार की पत्नी रेनू गंगवार इस बार निर्दलीय रूप से भंगा सीट से चुनाव लड़ी है। उनकी राह को रोकने के लिए इस बार विरोधियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके सामने चुनाव लड़ रही शिवांगी गंगवार के समर्थन में आखिरी समय में कैबिनेट मंत्री सोरभ बहुगुणा भी चुनाव प्रचार में कूद पड़े थे। दूसरी तरफ मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण के लिए एक मुस्लिम प्रत्याशी भी दमखम के साथ चुनाव मैंदान में थी, लेकिन चुनावी परिदृश्य अंतिम समय में गंगवार परिवार के पक्ष में आता नजर आया है। फिलहाल अब 31 जुलाई को आने वाले नतीजे यह तय करेंगे कि यह परिवार एक बार फिर ऊधमसिंह नगर ज़िला पंचायत पर कब्जा जमाता है या किसी नए चेहरे को उभार मिलता है।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक, भंगा सीट का चुनाव सिर्फ परिणामों का नहीं, बल्कि गंगवार परिवार के वर्चस्व की अग्निपरीक्षा भी है। यह भी देखा जा रहा है कि भाजपा का मौन समर्थन किस हद तक उनके पक्ष में जाता है और विपक्षी खेमा इस जोड़तोड़ का कितना प्रभावी जवाब दे पाता है।।