Sunday, July 6, 2025
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खत्म हुआ ठुकराल का ‘भौकाल’, ना घर के रहे ना घाट के सियासी दांव में शिव से फिर मात खा गये राजकुमार समय पर सही निर्णय नहीं लेना ठुकराल को पड़ा भारी

सौरभ गंगवार

रूद्रपुर। शहर की राजनीति में पिछले करीब डेढ़ दशक से दमखम रखने वाले पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल की सियासी पारी अब खत्म होने की कगार पर पहुंच चुकी है। निकाय चुनाव में भाजपा की सटीक रणनीति के आगे ठुकराल ढेर हो गये हैं, भाजपा प्रत्याशी को समर्थन देने के बाद माना जा रहा है कि ठुकराल अब न तो घर के रहे ना घाट के।

निकाय चुनाव में इस बार ठुकराल को रूद्रपुर की सियासत का केन्द्र बिंदु माना जा रहा था, राजनैतिक दलों के साथ आम आदमी की नजर भी ठुकराल के रूख पर थी लेकिन ठुकराल ने वेट एंड वॉच की स्थिति में रहकर इतनी देर कर दी कि अब वह हाशिये राजनीति के हाशिये पर पहुंच चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट करने के साथ ही राजनीति में ठुकराल की उलटी गिनती शुरू हो चुकी थी, इसके लिए जिम्मेवार खुद ठुकराल ही थे, बड़बोलेपन और अभद्र भाषा शैली के चलते उन्हें टिकट से हाथ धोना पड़ा दूसरी गलती ठुकराल ने निर्दलीय चुनाव लड़कर की समर्थकों के उकसावे में आकर ठुकराल ने भाजपा से बगावत करके अपने पैर में कुल्हाड़ी मारने का काम किया जिसकी कीमत उन्हें आज चुकानी पड़ रही हैं, जानकारों का मानना है कि ठुकराल उस समय चुनाव नहीं लड़ते तो आज भाजपा सरकार में किसी महत्वपूर्ण पद पर होते निर्दलीय चुनाव लड़कर ठुकराल ने पैसा और समय तो बर्बाद किया ही साथ ही अपना सियासी कद भी कम कर लिया।

अपनी गलती को सुधारने के लिए ठुकराल के पास मौके कई आये लेकिन उन्होंने वेट एण्ड वॉच की रणनीति अपनाई विधानसभा चुनाव हारने के बाद कांग्रेस में शामिल होने के लिए उनके पास कई मौके आये लेकिन उन्होंने गंवा दिये दरअसल भाजपा से उनका मोह खत्म नही हो रहा था, और उन्हें भाजपा में एंट्री के लिए सही मौके का इंतजार था, लेकिन बदजुबानी के चलते भाजपा में एंट्री में बार बार रूकावटें आती रही जनता के बीच ठुकराल सक्रिय तो रहे लेकिन राजनैतिक झण्डे के नीचे ना आकर उन्होंने गलती कर ली और जब निकाय चुनाव से पहले कांग्रेेस में जाने का फैसला किया तो देर हो चुकी थी, कांग्रेस में एंट्री से ठीक पहले उनका ऑडियो वायरल हो गया और यह मुद्दा दिल्ली तक पहुंचकर ठुकराल के लिए मुसीबत बन गया कांग्रेस में जाने में ठुकराल ने देर नहीं की होती तो शायद वह इस बार कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी होते और काफी हद तक सीट जीतने की स्थिति में भी होते।

कांग्रेस में नो एंट्री के बाद ठुकराल एक बार फिर भाजपा में जाने की जुगत में लग गये और उनकी एंट्री रोकने के लिए मौजूदा विधायक शिव अरोरा ने खुलकर मोर्चा खोल दिया ठुकराल की एक और वायरल हुई ऑडियो को आधार बनाकर शिव अरोरा ने उन्हें हिंदु विरोधी करार दे दिया हिंदुओं के लिए अपशब्द कहने वाली ठुकराल की कथित ऑडियो ऐसे समय में वायरल हुई जब ठुकराल देहरादून में मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष से मुलाकात कर रहे थे जिसके बाद बातचीत बिना किसी नतीजे के समाप्त हुई और मुख्यमंत्री ने ठुकराल से पहले नामांकन वापस लेने और भाजपा प्रत्याशी विकास शर्मा को समर्थन देने का फरमान सुना दिया।

आगे कुंआ पीछे खाई वाली स्थिति देख ठुकराल ने नामांकन वापस लेने के साथ ही मजबूरी में भाजपा प्रत्याशी को समर्थन देने का ऐलान भी इस उम्मीद से कर दिया कि शायद इसके बाद उन्हें भाजपा में एंट्री मिल जायेगी, लेकिन ठुकराल का यह निर्णय भी उन्हें राहत नहीं दे पाये दोपहर को ठुकराल ने प्रेस कांफ्रेस में भाजपा प्रत्याशी के समर्थन का ऐलान किया इसके बाद शाम को ही भाजपा जिलाध्यक्ष ने लेटर जारी करके ऐलान कर दिया कि ठुकराल भाजपा के किसी भी कार्यक्रम में शामिल नहीं होंगे इसके साथ ही ठुकराल के अरमानों पर एक बार पानी फिर गया।

कुल मिलाकर माना जा रहा है कि ठुकराल भाजपा के चक्रव्यूह में पूरी तरह ढेर हो चुके हैं अब न तो वह घर के रहे ना घाट के मौजूदा विधायक शिव अरोरा किसी भी सूरत में ठुकराल की भाजपा में एंट्री नही होने देना चाहते यह भी माना जा रहा है कि ठुकराल का नामाकन वापस कराना और प्रत्याशी को समर्थन दिलाना भाजपा की सोची समझी सियासी रणनीति का हिस्सा था।

ठुकराल ने एक के बाद एक गलती करके अपना राजनैतिक करियर तो हाशिये पर खड़ा किया ही है साथ ही अपने समर्थकों की भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ करने का काम किया है। तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद ठुकराल के समर्थक इस बार भी उन्हें चुनाव लड़ाने के लिए आतुर थे, शहर की आम जनता भी ठुकराल को मेयर का चुनाव लड़ाने के पक्ष में थी, पिछले एक माह से पूरा मीडिया भी ठुकराल की वाहवाही करने में लगा हुआ था लेकिन ठुकराल जनता के मूड को भी नहीं भांप पाये अब ठुकराल ने अपना राजनैतिक कैरियर तो खत्म किया ही है साथ ही अपनी हिंदुवादी नेता की छवि भी एक तरह से खत्म करने का काम कर दिया है। 

भाजपा में नो एंट्री के बाद अब ठुकराल का अगला सियासी कदम क्या होगा यह फिलहाल कहना मुश्किल है लेकिन रूद्रपुर की राजनीति में फिलहाल ठुकराल का ‘भौकाल’ खत्म होता नजर आ रहा है।।

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