Tuesday, July 8, 2025
Latest:
ऊधम सिंह नगर

लोकसभा चुनाव में राजेश शुक्ला पर दांव खेल सकती है भाजपा ! नैनीताल उधम सिंह नगर सीट पर कट सकता है मौजूदा सांसद अजय भट्ट का टिकट

सौरभ गंगवार

रूद्रपुर। लोकसभा चुनाव 2024 की गर्माहट जिले भर में अभी से महसूस होने लगी है। मुख्य राजनैतिक दल भाजपा और कांग्रेस ने चुनाव को लेकर तैयारियां शुरू कर दी है। भाजपा जहां विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से बूथ स्तर तक पहुंचकर लोकसभा क्षेत्र में पकड़ और मजबूत करने की कोशिश कर रही है वहीं कांग्रेस भी अपने स्तर पर मजबूती बनाने की कोशिश में लगी हुई हैं। फिलहाल चर्चा लोकसभा में टिकट को लेकर है। कांग्रेस से किसी का नाम सामने नहीं आ रहा लेकिन भाजपा से टिकट को लेकर किच्छा के पूर्व विधायक राजेश शुक्ला का नाम सुर्खियों में है। राजनैतिक हलकों में चर्चा है कि उधम सिंह नगर और नैनीताल जनपद को मिलाकर बनी इस सीट पर इस बार मौजूदा सांसद अजय भट्ट का टिकट कट सकता है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुमांऊ दौरे के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर राजनैतिक सरगर्मियां एकाएक तेज होती नजर आ रही है। नैनीताल उधम सिंह नगर सीट प्रदेश की सबसे हॉट सीट में शुमार रही है। लोकसभा चुनाव में इस सीट पर ज्यादातर पैराशूट प्रत्याशियों का वर्चस्व रहा है। यहां पहाड़ व भाबरी क्षेत्र के वोटर उम्मीदवारों का भाग्य तय करते हैं तो तराई के वोटर इस संग्राम में निर्णायक के तौर पर उभरकर आते हैं। नैनीताल के दूरस्थ क्षेत्र ओखलकांडा से लेकर एक तरफ नेपाल सीमा से सटा इलाका खटीमा और दूसरी ओर उप्र से सटा काशीपुर का क्षेत्र नैनीताल सीट का मिलाजुला अंदाज बयां कर देता है। इस लोकसभा क्षेत्र में नैनीताल जिले की दो विस सीट नैनीताल और भीमताल पूर्णतया पहाड़ी क्षेत्र की हैं तो हल्द्वानी, रामनगर, लालकुआं एवं कालाढूंगी मैदान यानी भाबर का इलाका है। ऊधमसिंह नगर जिले की सभी नौ सीटें तराई बेल्ट में गिनी जाती हैं।

वर्तमान में इस सीट पर भाजपा के अजय भट्ट सांसद है। उन्होंने 2019 के चुनाव में सवा तीन लाख से अधिक वोटों से कांग्रेस के हरीश रावत को पराजित किया था अजय भट्ट से पहले इस सीट पर भगत सिंह कोश्यारी सांसद रह चुके हैं। कोश्यारी ने 2014 के चुनाव में कांग्रेस केसी सिंह बाबा को हराया था केसी सिंह बाबा दो बार इस सीट से सांसद रह चुके थे यह सीट पहले तब चर्चा में आई थी, जब 1991 में भाजपा के बलराज पासी ने कांग्रेस के दिग्गज नेता नारायण दत्त तिवारी को हराया था तब चर्चा थी कि तिवारी प्रधानमंत्री बन सकते हैं। वर्ष 1952 से 2008 तक नैनीताल लोकसभा क्षेत्र था। वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद इसे नैनीताल-ऊधमसिंह नगर के नाम से जाना गया इससे पूर्व के इतिहास को देखें तो आजादी के बाद से ही यह सीट कुछ खास रही है। यहां दिग्गज भी चुनाव हारे हैं तो नए चेहरों को भी जनता ने मौका दिया है। भारत रत्न पंडित गोविंद बल्लभ पंत की यह कर्मस्थली रही है। यही वजह भी रही कि आजादी के बाद तीन दशक तक सीट उनके परिवार में ही रही। वर्ष 1951 व 1957 में लगातार दो बाद उनके दामाद सीडी पंत नैनीताल सीट से सांसद रहे। 1962, 67 व 71 में पंत के पुत्र केसी पंत ने यहां से हैट्रिक बनाते हुए कांग्रेस को मजबूत किया 1977 में भारतीय लोक दल के भारत भूषण ने पंत परिवार के विजय रथ रोक दिया इसके बाद 1980 में एनडी तिवारी ने भारत भूषण को हराया 1984 में तिवारी अपने करीब सत्येंद्र चंद्र गुड़िया को यहां से जिता ले गए। 1989 में जनता दल के डॉ महेंद्र पाल जीते। बड़ा बदलाव दिखा 1991 में, जब राम लहर चल रही थी और भाजपा के बलराज पासी ने दिग्गज एनडी को हरा दिया फिर 1998 में भाजपा की इला पंत ने एनडी तिवारी को शिकस्त दे अपनी पारिवारिक सीट को बचा लिया 2002 में डॉ महेंद्र पाल ने कांग्रेस से इस सीट पर जीत दर्ज की इसके बाद दो बार केसी बाबा ने यहां कांग्रेस का परचम लहराया और फिर 2014 से यह सीट भाजपा का गढ़ बन चुकी है।

पिछले चुनाव की तरह इस बार भी यह सीट हॉट बनने जा रही है। हालाकि कांग्रेस से अभी तक सीट पर प्रत्याशी को लेकर कोई नाम सामने नहीं आया है। लेकिन भाजपा में अंदरखाने टिकट के लिए जोरआजमाईश तेज हो गयी है। चर्चा है कि मौजूदा सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री अजय भट्ट के काम से हाईकमान संतुष्ट नही हैं। इसी लिए हाल ही के दिनों मे सांसद अजय भट्ट ने क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। नैनीताल और उधम सिंह नगर के छोटे बड़े कई कार्यक्रमों में इन दिनों वह लगातार शामिल हो रहे हैं। इसकी वजह साफ है कि उन्हें भी टिकट कटने का आभास हो रहा है। हालाकि इस सीट पर टिकट के लिए भाजपा से कई नेता जोर आजमाईश में लगे हैं। पूर्व सांसद बलराज पासी भी इस सीट पर टिकट के दावेदार हैं। लेकिन इन दिनों किच्छा विधायक राजेश शुक्ला का नाम सुर्खियों में है। राजेश शुक्ला किच्छा से दो बार के विधायक रह चुके हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत को बम्पर वोटों से पराजित कर इतिहास रचा था लेकिन 2022 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के पूर्व मंत्राी तिलकराज बेहड़ से मात खानी पड़ी कुछ समीकरणों और भीतरघात की वजह से शूक्ला को हार का मुंह देखना पड़ा लेकिन उन्होंने जनता के बीच सक्रियता बनाये रखी किच्छा में एम्स जैसे बड़े प्रोजेक्ट को लाने में उनकी बड़ी भूमिका रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ-साथ केन्द्रीय नेताओं से भी राजेश शुक्ला के अच्छे ताल्लुकात रहे हैं जिसके चलते माना जा रहा है कि शुक्ला पर पार्टी दांव खेल सकती है। शुक्ला भाजपा के सुलझे हुए और अनुभवी नेताओं में गिने जाते हैं। उनकी छवि एक साफ सुथरे राजनीतिज्ञ की है। तराई में राजनीति का उनका लम्बा अनुभव रहा है। फिलहाल पार्टी इस सीट पर टिक्ट को लेकर क्या निर्णय लेगी यह भविष्य के गर्भ में है।।

error: Content is protected !!
Call Now Button