स्वदेशी दिवाली मेलाः व्यापार मण्डल अध्यक्ष की भूमिका पर उठे सवाल कुछ व्यापारियों को रास नहीं आ रही नई व्यवस्था नेता गिरी चमकाने के लिए चल रहा व्यापारियों का उकसाने का खेल
सौरभ गंगवार/टुडे हिंदुस्तान
स्वदेशी दिवाली मेलाः व्यापार मण्डल अध्यक्ष की भूमिका पर उठे सवाल
कुछ व्यापारियों को रास नहीं आ रही नई व्यवस्था
नेता गिरी चमकाने के लिए चल रहा व्यापारियों का उकसाने का खेल
रुद्रपुर । शहर के गांधी पार्क में पहली बार आयोजित किए जा रहे स्वदेशी दिवाली मेले ने जहां एक ओर छोटे व्यापारियों के चेहरे पर रौनक लौटा दी है, वहीं दूसरी ओर शहर के प्रमुख व्यापार संगठन व्यापार मंडल के भीतर मतभेद और असंतोष की लहर भी पैदा कर दी है। मेले को लेकर प्रशासनिक स्तर पर की गई नई व्यवस्था कुछ व्यापारियों को रास नहीं आ रही है। खासकर व्यापार मंडल के अध्यक्ष संजय जुनेजा के विरोध के स्वर अब सियासी रंग लेते दिख रहे हैं।
हर साल दिवाली के मौके पर रुद्रपुर बाजार में भारी भीड़ और जाम आम बात रही है। मुख्य सड़कों पर फड़-ठेले लगने से यातायात व्यवस्था चरमरा जाती थी और व्यापारियों को भी आवागमन में परेशानी होती थी। इसके साथ ही हमेशा यह आशंका बनी रहती थी कि यदि किसी दिन आगजनी जैसी कोई घटना हो जाए तो बचाव कार्य तक संभव नहीं होगा इन्ही समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इस बार महापौर विकास शर्मा की अगुवाई में एक बड़ी रणनीतिक पहल की गयी करीब एक माह पहले नगर निगम में बुलाई गई विशेष बैठक में महापौर ने नगर निगम प्रशासन, पुलिस विभाग, व्यापार मंडल और लघु व्यापारियों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया सभी की सहमति से तय हुआ कि दिवाली से पहले बाजार में लगने वाले ठेले और अस्थायी दुकानें इस बार मुख्य सड़क की बजाय गांधी पार्क में शिफ्ट की जाएंगी साथ ही, जाम से निपटने के लिए चारपहिया वाहनों और ई-रिक्शा की नो एंट्री व्यवस्था लागू करने और पर्याप्त पुलिस बल तैनात करने पर भी सहमति बनी इस बैठक में व्यापार मंडल ने भी अपनी सहमति जताई थी बाद में महापौर ने व्यापार मंडल पदाधिकारियों और पुलिस प्रशासन के साथ बाजार का निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की समीक्षा भी की।
महापौर विकास शर्मा ने इस बार व्यवस्था को सिर्फ खानापूरी तक सीमित नहीं रखा, बल्कि “स्वदेशी दिवाली मेला” के नाम से एक भव्य आयोजन गांधी पार्क में शुरू किया। 14 से 21 अक्टूबर तक चल रहे इस मेले में 300 से अधिक स्थानीय छोटे व्यापारियों को बेहद नाममात्र शुल्क पर दुकानें आवंटित की गई हैं। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रम, रोशनी की सजावट और साफ-सुथरे माहौल ने ग्राहक और व्यापारी दोनों को आकर्षित किया है। इस आयोजन से खास फायदा फुटपाथी और अस्थायी व्यापारियों को हुआ है, जो हर साल सिर्फ दो-तीन दिन के लिए ही दुकान लगा पाते थे अब उन्हें पूरे सात दिन तक व्यवस्थित तरीके से व्यापार करने का अवसर मिला है। मेले की व्यवस्था इतनी सुव्यवस्थित है कि ग्राहक भी भीड़भाड़ से दूर आराम से खरीदारी कर पा रहे हैं।
हालांकि इन सकारात्मक पहलों के बीच व्यापार मंडल अध्यक्ष संजय जुनेजा और कुछ व्यापारियों का विरोध चर्चा में आ गया है। जुनेजा और कुछ अन्य व्यापारियों का आरोप है कि गांधी पार्क में मेले के आयोजन से मुख्य बाजार की रौनक खत्म हो गई है, जिससे उनके व्यापार पर असर पड़ रहा है। लेकिन आलोचकों का कहना है कि यह विरोध वास्तव में नेतागिरी चमकाने की कोशिश है। व्यापार मंडल द्वारा पहले इस प्रस्ताव पर सहमति जताना और बाद में विरोध करना, कई सवाल खड़े करता है। सूत्रों के मुताबिक, पहले वर्षों तक जब बाजार की मुख्य सड़क पर अस्थायी फड़ लगते थे, तो कुछ बड़े व्यापारी इन दुकानों से मनमाने किराए वसूलते थे। नई व्यवस्था में इस आय पर अंकुश लगने से यह वर्ग असंतुष्ट है।
यह भी ध्यान देने योग्य है कि गांधी पार्क के मेले में केवल लोकल उत्पाद और स्वदेशी वस्तुएं ही बेची जा रही हैं। क्रॉकरी, रेडीमेड गारमेंट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स और ज्वेलरी जैसे सामानों के लिए ग्राहक अब भी मुख्य बाजार का रुख कर रहे हैं। ऐसे में यह कहना कि गांधी पार्क का मेला मुख्य बाजार को खत्म कर देगा, पूरी तरह उचित नहीं लगता। उधर महापौर विकास शर्मा का कहना है कि ह मेला सिर्फ व्यापार को नहीं, बल्कि शहर की व्यवस्था को सुधारने की कोशिश है। छोटे व्यापारियों को भी सम्मानजनक मंच देना हमारा लक्ष्य है। आने वाले वर्षों में इस आयोजन को और बड़ा और बेहतर किया जाएगा वहीं गांधी पार्क में कारोबार कर रहे व्यापारियों का भी कहना है कि पहली बार हमारी सुनवाई हुई है। पहले उन्हें दो तीन दिन काम मिलता था अब अब सात दिन के लिए कारोबार करने का मौका मिल रहा है।।