डिजिटल दुनिया में डिजिटल अरेस्ट
अंकिता दफौटी
रुद्रपुर। डिजिटल दुनिया में नए-नए तरह के फ्रॉड किए जा रहे हैं।इनमें से एक है डिजिटल अरेस्ट ये धोखाधड़ी का एक ऐसा तरीका है जिसमें साइबर फ्रॉड आपको फोन या वीडियो कॉल करके पुलिस या अन्य सरकारी अधिकारी बनकर धमकाते हैं और आपसे पैसे ऐंठने की कोशिश करते हैं। डिजिटल अरेस्ट ब्लैकमेल करने का एक एडवांस तरीका है। डिजिटल अरेस्ट स्कैम के शिकार वही लोग होते हैं जो अधिक पढ़े लिखे और अधिक होशियार होते हैं। डिजिटल अरेस्ट का सीधा मतलब ऐसा है कि कोई आपको ऑनलाइन धमकी देकर वीडियो कॉलिंग के जरिए आप पर नजर रख रहा है। डिजिटल अरेस्ट के दौरान साइबर ठग नकली पुलिस अधिकारी बनकर लोगों को धमकाते हैं और अपना शिकार बनाते हैं। इस दौरान वे लोगों से वीडियो कॉल पर लगातार बने रहने के लिए कहते हैं और इसी बीच केस को खत्म करने के लिए पैसे भी ट्रांसफर करवाते रहते हैं।
डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत एक मैसेज या फोन कॉल के साथ होती है। डिजिटल अरेस्ट करने वाले ठग लोगों को फोन करके कहते हैं कि वे पुलिस डिपार्टमेंट या इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से बात कर रहे हैं। ये कहते हैं कि आपके पैन और आधार का इस्तेमाल करते हुए तमाम चीजें की खरीदी गई हैं या फिर मनी लॉन्ड्रिंग की गई है। कई बार यह भी दावा किया जाता है कि वे कस्टम विभाग से बोल रहे हैं और आपके नाम से कोई पार्सल आया है जिसमें ड्रग्स या प्रतिबंधित चीजें हैं।
इसके बाद वे वीडियो कॉल करते हैं और सामने बैठे रहने के लिए कहते हैं। इस दौरान किसी से बात करने, मैसेज करने और मिलने की इजाजत नहीं होती इस दौरान जमानत के नाम पर लोगों से पैसे भी मांगे जाते हैं। इस तरह लोग अपने ही घर में ऑनलाइन कैद होकर रह जाते हैं और इसे ही डिजिटल अरेस्ट कहा जाता है। डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा शब्द है जो कानून में नहीं है। लेकिन, अपराधियों के इस तरह के बढ़ते अपराध की वजह से इसका उद्भव हुआ है।
डिजिटल अरेस्ट में ठगी करने के 4- 5 तरीके होते हैं। जैसे, किसी कूरियर का नाम लेकर कि इसमें गलत सामान आया है। कुरियर में ड्रग्स है, जिसकी वजह से आप फंस जाएंगे। आपके बैंक खाते से इस तरह के ट्रांजैक्शन हुए हैं जो फाइनेंशियल फ्रॉड रिलेटेड हैं। मनी लॉन्ड्रिंग, एनडीपीएस का भय दिखाकर अधिकतर उन लोगों को फंसाया जाता है, जो पढ़े-लिखे और कानून के जानकार होते हैं। ऐसे लोगों को डराकर उनसे डिजिटल माध्यम से फिरौती मांगी जाती है। अगर उनके खातों में पैसे नहीं हैं तो उनको लोन दिलवाया जाता है। कई बार उनके पास लोन लेने वाले एप्स नहीं होते हैं तो उन एप्स को भी डाउनलोड कराया जाता है। कई बार दो से तीन दिन तक डिजिटल अरेस्ट रखा जाता है। समय के साथ हम सभी लोगो को अलर्ट रहना चाहिए ताकि हम भी किसी ऐसे धोखाधड़ी का शिकार न हो सके ऐसे मामलों में सरकार को भी ठोस कानूनी कदम उठाने होंगे ताकि लोगों के साथ डिजिटल अरेस्ट वाली धोखाधड़ी की घटना न हो सकें।।