कांग्रेस को अपने ही नेताओं से खतरा ! प्रचार में जान डालने में नाकाम साबित हो रहे पार्टी के जिम्मेवार लोग
सौरभ गंगवार
रूद्रपुर। लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं। भाजपा ने जहां चुनाव प्रचार में ताकत झोंक दी है तराई में कांग्रेस अभी अपनी अंदरूनी कलह से ही पार नहीं पा रही है। आलम यह है कि प्रचार मे जुटने के बजाय कांग्रेस के नेता आपसी कलह से ही जूझ रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस को विपक्षी पार्टी के साथ साथ अपने ही नेताओं से खतरा है।
लोकसभा चुनाव के प्रचार की दौड़ में कांग्रेस भाजपा से बहुत पीछे नजर आ रही है। भाजपा प्रत्याशी अजय भट्ट की जीत के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी विशाल रैली कर चुके है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी भाजपा प्रत्याशी के लिए हल्द्वानी में चुनावी जनसभा करके माहौल बना चुके हैं। जबकि कांग्रेस के स्टार प्रचारक अभी तक गायब है। कोई भी स्टार प्रचारक अभी तक कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश जोशी के समर्थन में कोई बड़ी रैली नहीं कर पाया है। जिसके चलते कांग्रेसी बुरी तरह हतोत्साहित नजर आ रहे है। सटीक रणनीति और नेतृत्व के अभाव के अभाव में कांग्रेस बिखरी हुई नजर आ रही है। चुनाव के समय भी कांग्रेसियों में एकजुटता का अभाव नजर आ रहा है। चुनाव में जुटने के बजाय कांग्रेस के नेता एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते नजर आ रहे हैं।
दरअसल पूरे देश के साथ-साथ प्रदेश में भी कांग्रेस एक ऐसे संकट के दौर से गुजर रही है जब उसके नेता एक-एक करके पार्टी छोड़कर जा रहे हैं। रूठे हुए कार्यकर्ताओं को मनाने के बजाय कांग्रेस के नेता कार्यकर्ताओं को पार्टी से निष्कासित करने का कदम उठाने से नही हिचक रहे ऐसा लग रहा है जैसे कांग्रेेस के नेताओं को चुनाव की कोई परवाह नहीं है। जहां एक ओर राष्ट्रीय स्तर पर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, खड़गे सहित तमाम बड़े नेता पार्टी के लिए रात दिन एक करके पसीना बहा रहे हैं वहीं स्थानीय स्तर पर नेता अभी तक एसी कमरों से बाहर निकलने में हिचक रहे हैं।
कई कांग्रेस नेता तो अपनी हार तय मानकर घर बैठे नजर आ रहे हैं। प्रचार के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। राष्ट्रीय स्तर पर वर्तमान में कांग्रेस कई ऐसे ज्वलंत मुद्दों को उठा रही है जिससे भाजपा के खिलाफ माहौल बनाया जा सकता है लेकिन स्थानीय नेता इन मुद्दों को जनता के बीच ले जाने में नाकाम साबित हो रहे हैं। कांग्रेस ने घोषणा पत्र में इस बार तमाम ऐसे वायदे किये हैं जिन्हें जनता के बीच ले जाया जाया तो पार्टी को चुनाव में इसका लाभ मिल सकता है। लेकिन इन मुद्दों को लेकर पार्टी की स्थानीय नेताओं ने अभी तक न तो मीडिया के सामने बात की और न ही जनता के बीच घोषणा पत्र के वायदों को लेकर चर्चा की।
भाजपा मोदी की गारंटी को जनता के बीच ले जाने के लिए जहां तरह तरह से प्रयास कर रही है तो कांग्रेस इसमें पूरी तरह विफल साबित नजर आ रही है। कुल मिलाकर भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से लोकसभा चुनाव जीतने का माहौल बनाया है जमीनी जमत की है उसके चलते कांग्रेस के नेता खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं, चुनाव सिर पर है और पार्टी के नेता अपने समर्थकों के लिए भी समय नहीं दे पा रहे हैं। जिले में कांग्रेस के चुनाव प्रचार की कमान जिन नेताओं को सौंपी गयी है उनमें से कई ऐसे हैं जिनके फोन तक नहीं उठते ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस नेताओं की स्थिति यही रही तो आने वाले समय में तराई मे कांग्रेस अपना अस्तित्व ही खो देगी कांग्रेस इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन नहीं कर पायी तो लोकसभा चुनाव के बाद होने वाले निकाय चुनाव में भी पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।।