ऊधम सिंह नगर

चुनाव के बाद बदले भाजपा नेताओं के तेवर स्मार्ट मीटर के समर्थन में खुलकर खड़े हुए जनप्रतिनिधि विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है खामियाजा

सौरभ गंगवार 

रूद्रपुर। नगर निगम चुनाव में स्मार्ट प्रीपेड मीटर को लेकर जनता के हित में बड़ी बड़ी बातें करने वाले जनप्रतिनिध्यिों के तेवर चुनाव के बाद बदल गये हैं। विद्युत विभाग की ओर से लगाये जा रहे स्मार्ट मीटर के समर्थन में भाजपा नेताओं खुलकर खड़े गये हैं जिसके बाद अब शहर में स्मार्ट मीटर लगने शुरू हो गये हैं। लेकिन जनता में इसको लेकर भारी नाराजगी देखने को मिल रही है, जिसका खामियाजा 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को भुगतना पड़ सकता है।

स्मार्ट को लेकर पिछले कई दिनों से घमासान मचा हुआ है। मामले को लेकर स्थानीय नेताओं से लेकर प्रदेश स्तर के नेताओं में भी स्मार्ट मीटर को लेकर जुबानी जंग छिड़ी हुयी है। रूद्रपुर मे नगर निगम चुनाव के दौरान स्मार्ट प्रीपेड मीटर का मुद्दा जोर शोर से उठा था कांग्रेस पूरा चुनाव ही इस मुद्दे पर लड़ रही थी चुनाव के दौरान मेयर प्रत्याशी विकास शर्मा ने शुरूआत में स्मार्ट मीटर की खूबियां गिनाई लेकिन जब मुद्दा गरमाया तो उन्हें बैकफुट पर आना पड़ा और चुनाव के अंतिम दौर में वह इस मुद्दे पर सफाई देते नजर आये अंत में उन्हें इस मुद्दे पर स्पष्ट ऐलान किया था कि स्मार्ट मीटर या कोई भी ऐसा काम शहर में नहीं होने देंगे जो जनता के हित में न हो जनता नहीं चाहेगी तो स्मार्ट मीटर नहीं लगेगा लेकिन मेयर बनने के बाद विकास शर्मा के तेवर अब बदल गये हैं।

इस मामले में अब मेयर विकास शर्मा के साथ ही विधायक शिव अरोरा समेत पूरी भाजपा विद्युत विभाग और अडानी ग्रुप के समर्थन में खड़ी नजर आ रही है। बीते दिनों किच्छा में विधायक तिलकराज बेहड़ ने जब इस मुद्दे पर जोरदार हंगामा किया तो यह मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया भाजपा को डर है कि कहीं आगे चलकर यह मुद्दा पार्टी के लिए गले की फांस ना बन जाये इसी लिए अब विद्युत विभाग के अधिकारियों के साथ भाजपा के जनप्रतिनिधि प्रेस वार्ता करके स्मार्ट मीटर की खूबियां गिना रहे हैं। भाजपा के विधायक और मेयर स्मार्ट मीटर के मामले में विपक्ष के आरोपों को भ्रामक दुष्प्रचार से प्रेरित करार दे रहे है उनका कहना है कि स्मार्ट मीटर से उपभोक्ताओं को बिजली खपत से जुड़ी सूचनाओं की ऑनलाइन उपलब्धता, पल-पल के बिजली के उपयोग की जानकारी, सभी जरूरी सूचनाओं के संदेश, बिजली के उपयोग की तुलना आदि सहित आसानी से भुगतान के कई विकल्प मिलेंगे भाजपा के जनप्रतिनिधयों का कहना है कि दुष्प्रचार और विरोध के बजाय बेहतर है कि स्मार्ट बिजली मीटर के मामले में कांग्रेस जरूरी प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी ले।

दूसरी तरफ इस मुद्दे पर कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ आक्रामक रूख अपना लिया है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगाने का प्रदेश सरकार का निर्णय विद्युत उत्पादन व वितरण भविष्य में अडानी को सौंपने का पहला कदम है। प्रदेश सरकार और सत्ताधारी दल के नेता जिस तरह स्मार्ट मीटर के फायदे गिनवा रहे हैं, उससे जाहिर हो रहा है कि उन्हें जनता के हितों की चिंता नहीं बल्कि अडानी ग्रुप के हितों की चिंता है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगाने के बाद बिजली उपभोक्ताओं को कुछ फायदा होने वाला नहीं, उल्टा राज्य का बिजली सेक्टर अडानी के नाम जरूर हो जाएगा फिलहाल कांग्रेस इस मामले में प्रदेशव्यापी आंदोलन की तैयारी कर रही है।

दूसरी तरफ आम जनता में भी स्मार्ट मीटर को लेकर नाराजगी देखी जा रही है। भले ही भाजपा के लोग स्मार्ट मीटर को प्रीपेड मीटर से अलग बता रहे हैं लेकिन लोगो का मानना है कि स्मार्ट मीटर को ही बाद में प्रीपेड मीटर में तब्दील किया जायेगा यह सब सोची समझी रणनीति के तहत हो रहा है। शहर मंे तमाम बड़ी समस्याओं को छोड़कर भाजपा के जनप्रतिनिधि स्मार्ट मीटर पर फोकस कर रहे हैं, जबकि तमाम बस्तियों में मूलभूत सुविधाओं का भी अभाव है। आम जनता चाहती है कि स्मार्ट मीटर लगने से पहले शहर की व्यवस्थाओं का भी स्मार्ट किया जाये स्मार्ट मीटर को लेकर सबसे ज्यादा चिंता गरीब तबके के लोगो में हैं, गरीब तबके के तमाम लोगों के पास अभी तक स्मार्ट फोन तक नहंीं हैं ऐसे में उन पर स्मार्ट मीटर थोपना गले नहीं उतर रहा है। कुल मिलाकर भाजपा कांग्रेस की जुबानी जंग के बीच शहर की तमाम कालोनियों में स्मार्ट मीटर लगने भी शुरू हो चुके हैं। जिसे लेकर जनता में नाराजगी है और यह नाराजगी 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी पड़ सकती है।।

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