स्वस्थ लोकतंत्र के लिए आवश्यक है गणनात्मक एवं रचनात्मक विपक्ष
सौरभ गंगवार
दुनिया में सभी लोकतांत्रिक राष्ट्रों में एक चीज समानांतर रूप से कार्यरत है वह विपक्ष की भूमिका। कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका के अलावा सरकार पर अंकुश लगाने की क्षमता एक मजबूत विपक्ष में होती है, तर्क यह है कि किसी भी निरंकुश सरकार को संसद में या जनता के सामने घेरने की तैयारी विपक्ष की प्रबल होनी चाहिए। मजबूत विपक्ष के होने से सरकार को अपनी नीतियों के तौर तरीकों में जनता के हित के लिए बदलाव करना या सुचारू रूप से राष्ट्र की जनता के लिए समर्पित करना आवश्यक हो जाता है। साथ-साथ यह भी जरूरी है कि विपक्ष की कार्यशैली में गणनात्मक और रचनात्मक तथ्य कितने प्रबल और मजबूत हैं, जिससे सरकार की बेलगामी को जनता के सामने उजागर किया जा सके। विपक्ष का गणनात्मक होना इस बात बात की ओर इशारा करता है कि विपक्ष सरकार की नीतियों पर अच्छे से कार्य कर रहा है और उसके प्रभाव और दुष्प्रभाव पर चर्चा विस्तार भी कर रहा है। विपक्ष की नैतिक जिम्मेदारी हो जाती है कि तथ्यों के साथ गणनात्मक शैली से पक्ष को या सरकार को संसद में घेर जाए उसे नीति के प्रभाव और दुष्प्रभाव को इंगित करके उसे और सुदृढ़ बनाया जाए। आज के इस आधुनिक दौर में दुनिया जहां तथ्यों पर कार्य कर रही है जिससे पुरानी गलतियों को न दोहरा सके। ठीक उसी तरह विपक्ष को भी गणनात्मक होना अति आवश्यक है। आज के भारत का विपक्ष गणनात्मक न होकर के विरोधाभासी राजनीति कर रहा है। विपक्ष को यह बात समझ नहीं आ रही कि उसे किसी नीति का विरोध करना चाहिए और किसका नहीं। विपक्ष नीति का विरोध करते-करते राष्ट्र का विरोध करने लग जाते हैं, विपक्ष को यहां संभालना होगा।
राष्ट्र हित में लिए गए फैसलों पर सरकार के साथ खड़ा होना भी विपक्ष की एक महत्वपूर्ण भूमिका है उदाहरण के लिए जैसे एयर स्ट्राइक, गुलाम कश्मीर में आतंकियों के अड्डे पर भारतीय सैनिकों का हमला करना, यूनिफॉर्म सिविल कोड, एनआरसी, खालिस्तानियों का समर्थन और भारत की जांच एजेंसियों पर सवाल खड़े करना। विपक्ष को तार्किक होने की अति आवश्यकता है आप सरकार की नीतियों का पुरजोर विरोध करिए लेकिन गणनात्मक रहिए जिससे राष्ट्र विरोधी ताकतों को बढ़ावा न मिले। याद आता है अटल बिहारी वाजपेई पंडित जवाहरलाल नेहरू इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के समय में कांग्रेस के सनातन विपक्षी रहे परंतु उन्होंने जहां-जहां भी राष्ट्र निर्माण के फैसले लिए गए वहां सरकार के साथ मजबूती के साथ खड़े रहे 62 की लड़ाई हो या 71 की लड़ाई हो या भारतीय अर्थव्यवस्था 1991 में झेल रही अपनी विषम परिस्थितियों में हो। विपक्ष की एक हम भूमिका हो जाती है राष्ट्र निर्माण में क्योंकि संसद के दोनों सदनों में वही सरकार को घेरने की क्षमता रखती है। विपक्ष की मुख्य भूमिका सरकार से सवाल पूछना और उसे जनता के प्रति जवाबदेह बनाना है इससे सत्ताधारी पार्टी की गलतियों को सुधारने में भी मदद मिलती है और देश के जनता के सर्वोत्तम हितों को बनाए रखने में भी आसानी होती है। विपक्ष के रचनात्मक होने का तर्क यह है कि किसी भी नीति निर्देशन के लिए वह सरकार को सुझाव दे भी सकती है और सरकार से सुझाव ले भी सकती है। विपक्ष का तर्कशील होना एक मजबूत लोकतंत्र की सबसे अच्छी निशानी होती है। रचनात्मक का अर्थ इतना है कि किसी भी नीति को लागू होने से पहले उसके प्रभाव दुष्प्रभाव को अच्छी तरह से जान लेना कि यह जनता के हित में लिया गया फैसला है या अहित में। उसमें अपने सुझाव अपनी प्रक्रिया सरकार को विपक्ष प्रदान करें जिस नीति निर्माण में सरकार को आसानी हो। इस आधुनिक दुनिया में जहां अब तरसतेरह की युद्ध लड़े जा रहे हैं उनमें अब एक नया युद्ध शुरू हो गया है डेटाबेस मैनेजमेंट की लड़ाई का और इस दौर में विपक्ष की अहम भूमिका हो जाती है कि वह किसी भी राष्ट्र के गोपनीय भेद अपने दुश्मन राष्ट्र को कभी न जाहिर होने दे, नहीं दुश्मन राष्ट्र का सहयोग ले अपनी सरकार को घेरने के लिए। मजबूत विपक्ष का होना विदाई सरकार के लिए हमेशा एक चुनौती होनी चाहिए, विपक्ष के मजबूत होने से कार्यपालिका और न्यायपालिका दोनों में विसंगतियों का असर कम हो जाता है। मजबूत विपक्ष की एक नैतिक जिम्मेदारी होती है कि राष्ट्र के हित में लिया गया फैसला वह जनता तक मुखर होकर पहुंचाये जिससे राष्ट्र में रह रहे लोगों को नीति को समझना और उसे पालन करने में आसानी हो।
विपक्ष की एक प्रबल भूमिका यह है कि उसे सुनिश्चित करना है कि सरकार संवैधानिक सुरक्षा घेरा बनाएं रखी है या नहीं। सरकार नीतिगत उपाय और कानून के निर्माता के रूप में जो भी कदम उठाती है विपक्ष उसे अनिवार्य रूप से आलोचनात्मक दृष्टिकोण से देखा है जिससे उसे नीति के तथ्य बाहर निकलते हैं और उसके प्रभाव और दुष्प्रभाव पर चर्चा होती है। एक कमजोर विपक्ष का सरल निहितार्थ यह होता है कि एक बड़ी आबादी जिसने सट्टा रूट दल को वोट नहीं दिया है उसकी राय और मांग को बिना किसी समाधान के छोड़ दिया जाता है वर्तमान दौर को लोकतंत्र मानवाधिकारों और प्रेस स्वतंत्रता पर भारत की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग में गिरावट देशद्रोह के मामलों की बढ़ती संख्या और उप के तहत अंधाधुन दर्ज मामलों के रूप में चिन्हित किया गया है इसके अलावा संसद द्वारा पारित किए जाते कई कानून को लगातार अस्वीकार के रूप में देखा जा रहा है यह सारे उदाहरण स्पष्ट रूप से एक प्रभावी और कमजोर विपक्ष का भी संकेत देता है। एक मजबूत विपक्ष की आवश्यकता यह है कि पार्टी संगठन में सुधार किया जाए लामबंदी के लिए आगे बढ़ा जाए और जनता को संबंधित पार्टी कार्यक्रमों से परिचित कराया जाए इसके साथ ही पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र के समय-समय पर मूल्यांकन के लिए एक तंत्र भी अपनाया जाना चाहिए। विपक्ष की एक अहम भूमिका और भी बढ़ जाती है प्रतिनिधित्व और उत्तरदायित्व वर्तमान मोड पर विपक्ष का एक महत्वपूर्ण उत्तरदायित्व यह है कि वह सजा मुद्दों पर समन्वय सुनिश्चित करें और संसदीय प्रक्रियाओं पर रणनीति तैयार करते हुए अपने तथ्य सरकार के सामने पेश करें जिस नीति निर्माण के लिए उचित कदम उठाए जा सकें।।